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शा स िन क का या ल य की पा िर वा िर क - ि का 1 अंक: Iʁ cc अैल - 2019 आवरण िगल से साभार शासिनक कायालय इंदौर की - पिका

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  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   1 

     

     

     

     

     

     

     

     

     

       

     

     

     

     

    अंक: I cीc  अप्रैल-जून 2019

    आवरण िचत्र गूगल से साभार 

    प्रशासिनक कायार्लय इंदौर की ई-पित्रका

  • मागर्दशर्न राजीव कुमार

    उप-महाप्रबंधक ( य एवं पिर)

    अितिथ संपादक अभय कुमार शमार्

    मुख्य प्रबंधक (सामा य बिकंग)

    मुख्य संपादक आशीष भवनानी

    आंचिलक राजभाषा अिधकारी भारतीय टेट बक, राजभाषा िवभाग, प्रशासिनक कायार्लय इंदौर वारा आंतिरक िवतरण के िलए सपंािदत एवं प्रकािशत ितमाही िह दी ई-पित्रका। इस पित्रका म प्रकािशत रचनाओ ं म यक्त िकए गए िवचार से भारतीय टेट बक का सहमत होना अिनवायर् नहीं है। रचनाओ ं की मौिलकता और उसम प्रयुक्त त य , आँकड़ की यथाथर्ता के िलए भी संबंिधत लेखक ही िज मेदार है। संपकर् : राजभाषा िवभाग, भारतीय टेट बक, प्रशासिनक कायार्लय, 5 यशवतं िनवास रोड, इंदौर, म यप्रदेश- 452003 दरूभाष: 0731-2542703 ईमेल:[email protected]

    भीतर के पृ ठ पर  

    आमुख: उपमहाप्रबंधक का संदेश

    संपादकीय: अितिथ संपादक

    राजभाषा ज्ञान: िनज भाषा उ नित अहै!

    आवरण कथा: महाकाल की अ भुत नगरी है उ जैन

    पिरवतर्न: आभार है! वागत है!

    समझ-बूझ: अंगे्रज़ी म भी ह, िह दी के श द

    का यकंुज: म उमंग हँू

    लघुकथा: फाँस

    हलचल: आंचिलक गितिविधयाँ

    यिक्त व: जॉनी वॉकर

    हरफनमौला: बे ट एंड फेयर लेयर

    पहल: संवहनीयता पहल म अग्रणी है इंदौर

    पे्ररणा: पूछने म क्या जाता है!

    आ वान: मतदान एक महापवर् है

    प्रितभा: िज़द है आसमान छूने की

    आमंत्रण: राजभाषा पखवाड़ ेका आयोजन

    सीख: दादी की िहदायत

     

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    आपको पित्रका कैसी लगी? अपने बहुमू य सुझाव से अव य अवगत करवाएं। आप पित्रका के िलए वरिचत अथवा पिरवार के सद य वारा रिचत रचनाएं हम [email protected] पर ई-मेल कर सकते ह अथवा 9418118058 पर वॉ सएप भी कर सकते ह। रचनाओं के साथ रचनाकार का छायािचत्र भी अव य भेज।  

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   3 

     

     

    पूिछए और बताइए, सीिखए और िसखाइए! 

    मेरे सािथयो,        

    सवंाद के मा यम से म पहली बार आप सभी से ब हो रहा हँू। हमारे अचंल के राजभाषा िवभाग की इस पहल ने मझु ेआपसे और आपके पिरवार से "सवंाद" थािपत करने का एक अ छा मचं प्रदान िकया है। इस मचं के मा यम से म आपसे अपने मन की बात साझा करना चाहता हँू। मेरे मन की यह बात, मेरी आदत भी है। म सबसे खुल कर बात करता हँू। सबसे पूछता हँू। सबको बताता भी हँू। म सबसे सीखता हँू और कोिशश करता हँू िक मेरा यवहार ऐसा हो, िजससे सामने वाले को पे्ररणा िमले। म चाहता हँू िक आप भी इस िनयम का पालन कर। अपने िदल म कोई बात दबा कर ना रख। जहाँ सीखने का मौका िमले, वहाँ खुद से आगे बढ़कर सीखने का प्रयास कर।

    अपने आस-पास देिखए। प्रकृित हमारी सबसे बड़ी िशक्षक है। इसके अलग-अलग मौसम ह, िजनका सबंंध हम अपने जीवन की अलग-अलग पिरि थितय से कर सकते ह। प्रकृित की तरह ही हमारा जीवन हर पल बदलता रहता है। अभी बािरश का मौसम है। गमीर् से तपने के बाद बािरश की बूँद ने सखूी धरती म िफर से रंग भर िदए ह। गमीर् से कु हलाए पेड़-पौधे िफर से हरे-भरे हो गए ह। प्रकृित की इसी पिरवतर्नशीलता से पे्ररणा लेकर सतत आगे बढ़ते रहना ही हमारे जीवन का सतू्र होना चािहए। जीवन म ठहराव सभंव नहीं है। ठहर जाने की ि थित िकसी भी हालात म अ छी नहीं कही जा सकती। हम हमेशा बेहतर के िलए प्रयास करते रहना चािहए। "कोिशश करने वाल की कभी हार नहीं होती" को जीवन का मलूमतं्र बनाकर दिुवधा म पड़ ेमन को मिंज़ल की ओर बढ़ाते चलना ही हमारा मकसद हो, जीवन हम यही िसखाता है।

    गौतम बुद्ध ने कहा था, "हम जो कुछ भी ह, वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का पिरणाम है।" आप जसैा सोचते ह, वसैा यवहार करते ह, और वैसा ही हािसल करते ह।

    जीवन की इसी िविवधता म िज़दंगी है। रंग ह। रस ह। उ लास है। पवर् है। िजदंगानी है। हम सब ह। बािरश के इस मौसम म आप सब खुश रह, व थ रह, सफल रह, इसी उ मीद के साथ

    आपका शुभिचतंक, राजीव कुमार

    संदेश 

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   4 

    सवंाद की सफलता आपकी सफलता है! िप्रय सािथयो,

    मझु ेसवंाद के िवतीय अकं म अितिथ सपंादक के प म आप सभी का अिभनंदन करते हुए हषर् की अनुभिूत हो रही है। सवंाद के प्रवेशांक को लेकर हम आपकी उ साहवधर्क प्रितिक्रयाएँ िमलीं ह, िजसके िलए हम आपके आभारी ह। आपके उ साह ने हम इस पित्रका को और बेहतर करने के िलए प्रो सािहत िकया है।

    आप जानते ही ह िक हमने सवंाद को यवसाय से दरू रखते हुए इसे एक पािरवािरक पित्रका का व प प्रदान िकया है। इसका प्रवेशांक ही हमारे सं थान और हमारे पिरवार के म य एक कड़ी के प म सफलतापूवर्क अपनी मौजदूगी दज़र् कराने म सफल रहा है। इसकी सफलता आप सब की सफलता है। इसके मा यम से हम एक-दसूरे के और यादा करीब आए ह, साथ ही हमारे सािथय की प्रितभा को सामने लाने और हमारे पिरवार के सद य की उपलि धय से सबको पिरिचत कराने म यह पित्रका मह वपूणर् भिूमका िनभा रही है।

    सवंाद के प्रवेशांक म आपने इंदौर की इंदौिरयत की झलक देखी थी। अब इस अकं म हम आपको महाकाल की नगरी उ जनै के दशर्न करवाएंगे। साथ ही हम आपको इंदौर म ज मे मशहूर हा य कलाकार जॉनी वॉकर के नाम के पीछे िछपी कहानी बता रहे ह। इस अकं म आपको राजभाषा िह दी से जड़ुी कुछ मलुभतू जानकारी भी िमलेगी। सवंाद के िपछले अकं म हमने आपसे मतदान से सबंिंधत त वीर भेजने का आ वान िकया था। हम ढेर त वीर प्रा त हुई ह, िजनम से चुिनदंा त वीर को इस अकं म शािमल िकया गया है।

    इंदौर अचंल म आने के साथ ही मुझ ेसवंाद के अितिथ सपंादक के प म आप सब से ब होने का बेहतरीन अवसर िमला है। मने इंदौर अचंल और यहाँ के लोग के बारे म जसैा सनुा था, आप सबको वैसा ही रचना मक, िमलनसार, ख़शुिदल और ऊजार्वान पाया है। आपकी रचना मकता और आपके उ साह ने मझुम भी एक नई ऊजार् का सचंार िकया है। हम सब िमलकर अपने सं थान, अपने पिरवार की उ नित के िलए प्रयास करते रह, इसी सोच के साथ आपकी प्रितिक्रयाओं के इंतज़ार म।

    आपका साथी,

    अभय कुमार शमार् मखु्य प्रबंधक (सामा य बिकंग)

    संपादकीय 

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   5 

    क्षेत्र  क्षेत्र म शािमल रा य/संघ रा य क्षते्र क   

    िबहार, छ तीसगढ़, हिरयाणा, िहमाचल प्रदेश, झारखंड,  म यप्रदेश, राज थान,  उ तर प्रदेश, उ तराखंड रा य और अंडमान िनकोबार वीप समूह, रा ट्रीय राजधानी क्षेत्र िद ली संघ रा य क्षते्र।  

    ख  गुजरात, महारा ट्र और पंजाब रा य तथा चंडीगढ़, दमन और दीव तथा दादरा एवं नगर हवेली संघ रा य क्षते्र।  

    ग  'क' और 'ख' क्षते्र म शािमल नहीं िकए गए अ य सभी रा य या संघ रा य क्षेत्र।

    राजभाषा ज्ञान 

    िनज भाषा उ नित अहै! िह दी हमारी राजभाषा है। राजभाषा से ता पयर् ऐसी भाषा से है, िजसका उपयोग सरकारी कायार्लय अपने कामकाज म करते ह। प्र येक वषर् कद्र सरकार के कायार्लय और सावर्जिनक क्षेत्र के बक वारा राजभाषा िह दी के प्रसार और प्रगामी प्रयोग के िलए वािषर्क कायर्क्रम तैयार िकया जाता है। हमारे बक के कॉरपोरेट कद्र ि थत राजभाषा िवभाग वारा जारी वािषर्क कायर्क्रम 2019-20 के कुछ प्रमखु अशं आपके िलए प्र तुत ह: 

    िह दी के समाचार पत्र म िह दी म तथा अंगे्रजी के समाचार पत्र म अंगे्रजी म ही िवज्ञापन िदए जाएं। जब अंगे्रजी समाचार पत्र म िवज्ञापन िदए जाएं, तो िवज्ञापन के अंत म यह अव य उ लेख कर िदया जाए िक "अिधसूचना/िवज्ञापन/िरिक्त संबंधी पिरपत्र" का िह दी पांतर वेबसाइट पर उपल ध है।  

    संघ के राजभाषा नीित का आधार पे्ररणा और प्रो साहन है। तथािप, राजभाषा संबंधी अनुदेश का अनुपालन ढ़तापूवर्क िकया जाना चािहए। जानबूझकर राजभाषा संबंधी आदेश की अवहेलना के िलए मंत्रालय/िवभाग अनुशासना मक कारर्वाई करने पर िवचार कर सकते ह।  

    िह दी बोले और िलखे जाने की प्रधानता के आधार पर रा य / संघ रा य क्षेत्र को उनको भौगौिलक ि थित को यान म रखकर उ हे तीन क्षेत्र के प म िचि हत िकया गया है-

    राजभाषा अिधिनयम की धारा 3(3): संक प, सामा य आदेश (इसम पिरपत्र, पिरपत्रक पत्र भी शािमल ह), िनयम, अिधसूचना, करार, प्रशासिनक या अ य प्रितवेदन, पे्रस-िवज्ञि त, संिवदा, करार, अनुज्ञि त, अनुज्ञापत्र, सूचना, थानांतरण आदेश और िनिवदा-प्र प आिद अिनवायर्तः िवभाषी प म जारी िकए जाएँ। िह दी पांतर अंगे्रजी के ऊपर रहे। िकसी प्रकार के उ लंघन के िलए ह ताक्षर करने वाले अिधकारी को िज मेदार ठहराया जाएगा।

    राजभाषा िनयम 1976 के अनुसार, सरकार के राजभाषा अनुपालन की िज मेदार प्र येक कायार्लय के प्रशासिनक प्रमुख की है।  

    िह दी म/ िवभाषी प म प्रा त सभी पत्र के उ तर अिनवायर् प से केवल िह दी म/ िवभाषी प म ही िदए जाएँ।  

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   6 

    महाकाल की अ भुत नगरी है उ जियनी संवाद के हर अंक म हम आपका पिरचय अंचल के एक शहर, वहाँ की िमट्टी की खुशबू, वहाँ के सां कृितक आयाम से करवा रहे ह। इंदौर से शु हुए इस सफर म इस बार का पड़ाव है उ जैन। एक पौरािणक नगर, महाकाल की नगरी, िसहं थ महाकंुभ का पिवत्र थान, िवक्रमािद य के रा य की राजधानी, कािलदास की नगरी समेत ना जाने िकतने िवशषेण जुड़ ेह इस शहर के साथ। यह सब िमलकर भी उ जैन, िजसे पहले उ जियनी कहा जाता था, की मिहमागान म कम पड़ते ह। आइए साथ िमलकर इस पिवत्र नगरी का भ्रमण करते ह:  

    घंटे घिड़याल की आवाज़ से गूँजता शहर, माथे पर ित्रपुंड लगाए लोग से भरी गिलयाँ, मंत्रोचर से सुबह की शु आत और आरती की घंिटय से शाम का ऐलान करने वाला उ जैन िसहं थ मेले के आयोजन के िलए िव व म जाना जाता है। िक्षप्रा नदी के िकनारे ि थत इस प्राचीन, ऐितहािसक और पौरािणक शहर ने व छता सवक्षण 2019 म पूरे देश के सबसे व छ शहर म चौथा थान हािसल िकया है।

    उ जैन, िजसके पुराण म इसके कई नाम िमलते ह जैसे उ जियनी, अवंितका, पद्मावती, प्रितपाल, िवशाला, कुश थित आिद, का इितहास 5000 साल पुराना है। यह आिद ब्र ह पुराण म सबसे अ छे शहर के प म विणर्त है, वहीं ग ण पुराण के अनुसार जो सात नगर मोक्ष प्रदान

    कर सकते ह, उनम से अवंितका का मह व सबसे अिधक है। महाकाल यहाँ वयं िनवास करते ह और भगवान िशव के बारह योितिलर्ंग म से एक महाकाले वर यहाँ ि थत है। यहाँ गढ़कािलका और हरिसिद्ध, दो शिक्तपीठ ि थत ह और यह उन चार शहर म से एक है, जहाँ पिवत्र कंुभ का आयोजन यहाँ होता है। उ जैन के पौरािणक इितहास पर िवहंगम ि ट डालने से हम पात ेह की भगवान शकंर ने ित्रपुर राक्षस का वध करन ेके बाद उ जियनी नगरी बसाई थी। सनकािद ऋिषय के समय म एवं महाभारत काल म भी इसका उ लेख आता है। क़ृ ण व बलराम यहाँ महिषर् संदीपनी के आ म म िशक्षा प्रा त करने आए थे। कृ ण की एक प नी िमत्रवृंदा उ जैन की ही राजकुमारी थीं। िमत्रवृंदा के भाई िवदं और अरिवदं महाभारत यदु्ध म कौरव की ओर से लड़ते हुए वीरगित को प्रा त हुए थ।े

    आवरण कथा

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   7 

    दिुनया के सारे र न उ जैन म ह! 

    समयकाल की गणना के िलए िवक्रम संवत की शु आत उ जैन के राजा िवक्रमािद य ने ही की थी। उ जैन इस काल म वभैवशाली अट्टािलकाओं वाला शहर था। िवक्रमािद य के नवर न म से एक प्रिसद्ध किव कािलदास ने कहा िक वगर् म रहने वाले जीव को अपने पु यक्षीण होने की ि थित म पृ वी पर आना पड़ा तो उ ह ने िवचार िकया िक हम अपने साथ वगर् का एक खंड ले चल। यही वणर्खंड उ जियनी है।  

    उ जैन प्राचीन अ ययन का एक बड़ा कद्र था। शहर म ि थत जंतर-मंतर म खगोल िवज्ञान की िशक्षा दी जाती थी। इंदौर को अंगे्रज़ वारा िवकिसत करने से पहले उ जैन म य भारत का एक मह वपूणर् कद्र था। कािलदास,  वराहिमिहर,  बाणभट्ट,  शकंराचायर्,  व लभचायर्, भतहृरी, का यायन और बाण जैसे िविवध क्षेत्र के महान िव वान का उ जैन से जुड़ाव था। मुगल सम्राट अकबर ने इस शहर को अपनी क्षेत्रीय राजधानी बनाया। ग्वािलयर से पहले उ जैन ही िसिंधया राजवंश की राजधानी थी। यहाँ आज भी अनेक धािमर्क एवं ऐितहािसक थान ह, िजनम भगवान महाकाले वर मिंदर, गोपाल मंिदर, चौबीस खंभा देवी, चौसठ योिगिनयां, नगर कोट की रानी,  हरिसि द मां,  गढ़कािलका,  काल भैरव, िस दवट,  मजार-ए-नज़मी,  िबना नींव की मि जद, बहृ पित मंिदर आिद प्रमुख ह।  

    वतर्मान उ जैन नगर िव ं यपवर्तमाला के समीप और पिवत्र तथा ऐितहािसक िक्षप्रा नदी के िकनारे ि थत है। कालजयी किव कािलदास और महान रचनाकार बाणभट्ट ने नगर की खूबसूरती को जादईु िन पित िकया है। कािलदास ने िलखा है िक दिुनया के सारे र न उ जैन म ह और समुद्र के पास िसफर् उनका जल बचा है।

    उ जैन इितहास के अनेक पिरवतर्न का साक्षी है। िक्षप्रा के अंतर म इस पार पिरक नगर के उ थान-पतन की िनराली और सु प ट अनुभूितयां अंिकत है। िक्षप्रा के घाट पर जहाँ प्राकृितक सौ दयर् की छटा िबखरी पड़ी है। रंग भरा काित र्क मेला हो या जन-संकुल िसहं थ या िदन के नहान, सब कुछ नगर को तीन ओर से घेरे िक्षप्रा का आकषर्ण है। उ जैन के दिक्षण-पूवीर् िसरे से नगर म प्रवेश कर िक्षप्रा ने यहां के हर थान से अपना अंतरंग संबंध थािपत िकया है। यहां ित्रवेणी पर नवगहृ मंिदर है। पास की सड़क आपको िचतंामिण गणेश पहंुचा देगी। धारा के मुड़ते ही सामने जाने पहचाने िक्षप्रा के घाट ह, जो सुबह-सुबह महाकाल और हरिसि द मंिदर की छाया का वागत करते है। िक्षप्रा जब पूवर् आती है तो गोपाल मंिदर की देहली छू लेती है। दगुार्दास की छत्री के थोड़ ेही आगे नदी की धारा नगर के प्राचीन पिरसर के आस-पास घूम जाती है। भतृर्हिर गुफा, पीर मिछ दर और गढकािलका का क्षेत्र पार कर नदी मंगलनाथ पहंुचती है। मंगलनाथ का यह मंिदर सांदीपनी आ म और िनकट ही राम-जनादर्न मंिदर के सुंदर य को िनहारता रहता है। िस दवट और काल भैरव की ओर मुड़कर िक्षप्रा कािलयादेह महल को घेरते हुई चुपचाप उ जैन से आगे अपनी यात्रा पर बढ़ जाती है।

    किव ह या संत, भक्त ह या साधु, पयर्टक ह या कलाकार, पग-पग पर मंिदर से भरपूर िक्षप्रा के मनोरम तट सभी के िलए समान भाव से पे्ररणा के आधार है।

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   8 

    मंिदर की नगरी है उ जैन सामा यत: एक नगर के िलए एक मंिदर का िनमार्ण िकया जाता है, लेिकन मंिदर की वजह से िकसी नगर का बसाया जाना िवरले ही होता है। उ जैन म मंिदर की संख्या देखते हुए यही कहा जा सकता है िक इसे मंिदर के िलए ही बसाया गया है। यहाँ के मंिदर की वणर् चोिटय को देखकर इसे प्राचीन समय म वणर्गंगा भी कहा जाता था। यहाँ 7 सागर तीथर्,  28 तीथर्, 84 िसद्धिलगं, 30 िशविलगं, 8 महाभैरव, 11 द्र थान, सैकड़ देवताओं के मंिदर, जलकंुड तथा मारक ह।

    महाकाले वर मिंदर  महाकाल उ जैन के अिधपित आिददेव माने जाते ह। महाकाले वर की प्रितमा दिक्षणमखुी है। तांित्रक पर परा म प्रिस द दिक्षणमुखी पूजा का मह व बारह योितिलर्ंग म केवल महाकाले वर को ही प्रा त है।  

    ी बड़ ेगणेश मिंदर ी महाकाले वर मंिदर के िनकट हिरिसिद्ध मागर् पर बड़ े गणेश की भ य और कलापूणर् मूित र्

    प्रिति ठत है। मंिदर पिरसर म स तधातु की पंचमुखी हनुमान प्रितमा के साथ-साथ नवग्रह मंिदर तथा कृ ण-यशोदा आिद की प्रितमाएं भी िवरािजत ह। यहाँ गणेश जी को मिहलाएं अपने भाई के प म मानती ह, एवं रक्षा बंधन के पावन पवर् पर राखी बाँधती ह।  

    मंगलनाथ मंिदर: ऐसे यिक्त िजनकी कंुडली म मंगल भारी रहता है, वे अपने अिन ट ग्रह की शांित के िलए यहाँ पूजा-पाठ करवाने आते ह। देश म मंगल भगवान के कई मंिदर ह,  लेिकन उ जैन को मंगल ग्रह की जननी माने जाने कारण यहाँ की पूजा को खास मह व िदया जाता है। यहाँ मंगलनाथ भगवान की िशव पी प्रितमा का पूजन िकया जाता है। 

     हरिसिद्ध मंिदर  

    िच तामण गणेश मंिदर से थोड़ी दरू और द्रसागर तालाब के िकनारे ि थत इस मंिदर म सम्राट िवक्रमािद य वारा हिरिसिद्ध देवी की पूजा की जाती थी। हरिसि द देवी वै णव संप्रदाय की आरा य रही। िशवपुराण के अनुसार दक्ष यज्ञ के बाद सती की कोहनी यहां िगरी थी।  

    गोपाल मंिदर: गोपाल मंिदर उ जैन नगर का दसूरा सबसे बड़ा मंिदर है। यह मंिदर नगर के म य य ततम क्षेत्र म ि थत है। मंिदर का िनमार्ण महाराजा दौलतराव िसिंधया की महारानी बायजा बाई ने वषर् 1833 के आसपास कराया था। मंिदर म कृ ण (गोपाल) प्रितमा है।   िक्षप्रा घाट िक्षप्रा नदी के दािहने िकनारे, जहाँ नगर ि थत है, पर बने घाट पर देवी-देवताओं के मंिदर ह। िसहं थ के दौरान जब लाख -करोड़ द्धालु यहां नान करते ह, तब इन घाट का गौरव देखते ही बनता है।

    प्र तुित हेमंत नलवड़े

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    वागत है! आभार है!

    एक बककमीर् होने के नाते हम सदैव ही थानांतरण के िलए तैयार रहना होता है। ऐसे अवसर पर हम अपने साथी के साथ यतीत िकए गए समय के िलए उनका आभार प्रकट करते ह, वहीं उसी समय हमारे साथ जुड़ने वाले नए साथी के वागत के िलए भी तैयार हो जाते ह। हमारे इंदौर अंचल म भी अभी ऐसा ही समय आया, जब हमारे उप महाप्रबंधक ी पीके बालाजी का थानांतरण उनके गृह मंडल तेलंगाना हो गया। उनके थान पर ी राजीव कुमार हमारे नए उप महाप्रबंधक की भूिमका म भोपाल से इंदौर आए ह। हम ी राजीव कुमार का वागत करते ह, और ी बालाजी के प्रित आभार यक्त करते ह।  

                      

    पिरवतर्न

    उप महाप्रबंधक ी पी के बालाजी के साथ ही क्षते्रीय प्रबंधक-1 ी मनमोहन वेन और ी राजेश मेहता को भी िवदाई दी गई। 

    उप महाप्रबंधक ी पी के बालाजी का स मान कर उनका आभार प्रकट करते हुए सहायक महाप्रबंधक ी राजेश मेहता 

    िवदाई समारोह म उपि थत सभी विर ठ कायर्पालक ने उप महाप्रबंधक ी पीके बालाजी के प्रित अपना आभार यक्त िकया। 

    नविनयुक्त उप महाप्रबंधक ी राजीव कुमार का पु पगु छ देकर वागत करते हुए ी पीके बालाजी 

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    अगें्रजी भाषा म भी शािमल ह, िह दी भाषा के श द 

     

    आजकल आपसी बोलचाल म हम िजस िह दी भाषा का प्रयोग कर रहे ह, उनम से कई श द अंगे्रज़ी के शािमल ह। इन श द का प्रयोग इतना आम है िक हम पता ही नही ंहै िक कौन-सा श द िह दी का है। आपको जानकार आ चयर् होगा िक जैसे िह दी भाषा म अंगे्रजी भाषा के श द का प्रयोग होता है, वैसे ही िह दी भाषा के कई श द ऐसे ह, िज ह अंगे्रजी म शािमल िकया जा चुका है। नीचे दी गई कहानी म िह दी के ऐसे कुल 18 श द ह, िज ह अंगे्रजी म शािमल िकया जा चुका है। आइए देखते ह िक आप इनम से िकतने श द को ढँूढ पाते ह:   

    ”  कल म अपने धमर्–गु  की आज्ञा से जंगल से लकिड़याँ लाने गया। रा ते म मुझ ेकुछ ठग िमले, जो मुझ ेघी का ल डू खाने का लालच दे रहे थ ेऔर कह रहे थे िक ये महा मा जी का प्रसाद  है और इसे खाकर मुझ े िनवार्ण प्रा त हो जाएगा, लेिकन म उनकी चाल म नहीं फंसा और अपनी म ती म चलता हुआ जंगल के बीच -बीच पहंुच गया। अभी मने कुछ ही लकिड़याँ चुनी थीं िक अचानक एक चीता मेरे सामने आ गया, म उसे देखकर घबरा गया और तेजी से भागने लगा, पर ज दबाजी म मेरा पैजामा एक झाड़ी म फँस गया और म िगर पड़ा। अब मेरे सामने कोई चारा ना था, चीता मेरे

    िनकट आ रहा था।  म भगवान को याद करने लगा, तभी मुझ ेपंिडतजी की बताई एक बात याद आ गयी िक ऐसे संकट म िबना िहले-डुले पड़ ेरहो। मने वही िकया और चीता थोड़ी देर म वहां से चला गया। मुझ ेलगा िक चलो बला टली पर तभी घोड़ के टाप की आवाज़ सुनाई दी। डकैत  का एक झंुड कहीं से लूट‐पाट कर वहां से गुजर रहा था।  म ज दी से पेड़ पर चढ़ गया, अब शाम भी ढल चकुी थी। मने रात वहीँ गुजारने का फैसला िकया, अ छा हुआ घर से चलत ेव त मा ँ ने रोटी और चटनी जबरद ती थैले म रख दी थी। वही खा कर मने अपनी भूख शांत की, सुबह होते ही म घर के िलए वापस िनकला और मन म पक्का फैसला िकया िक अब कभी लकिड़याँ लेने घने जंगल म नहीं जाऊँगा।” 

      संवाद से जुड़, सवंाद कर! पािरवािरक ई-पित्रका "संवाद" की सफलता को कायम रखने के आप सब के सहयोग की उ मीद है। पित्रका आपकी है, इसिलए हम चाहते ह िक इसम आपका योगदान सव पिर हो। पित्रका के िलए वरिचत रचनाएँ, किवताएँ, लेख, कहानी [email protected] अथवा 9418118058 पर वॉ सएप भी कर सकते ह। अपनी और अपने पिरवार की उपलि धय को भी हमसे साझा करगे तो हम खुशी होगी। आप वयं के वारा खींची ंहुई त वीर भी हम भेज सकते ह। इनको भी "संवाद" के अगले अंक म शािमल िकया जाएगा।

      

    समझ-बूझ

    धमर् (Dharma) गु (guru)  जंगल (jungle)  ठग (thug)  घी (ghee)  ल डू (laddoo)  महा मा (mahatma)  प्रसाद (prasad)  िनवार्ण (nirvana)  चीता (cheetah) पैजामा (pajama)  भगवान (Bhagwan)  पंिडत (pundit)  डकैत (dacoit)  लटू(loot) रोटी (roti) चटनी(chutney) पक्का(pukka) 

    उ तर 

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   11 

    म उमगं हँू

    जब ग्री म ऋतु की अ का म रिव योित तपन की अनुभूित करता हँू म

    तब घणगौर वषार् का अनुराग कर सुजीत की चाह रखता हँू म

    तब रोिहत वणर् के हीरा, पखुराज कंठ धार कर इकराम को जपता हँू म

    जब इंद्र सिचन की ओर तकता हँू

    तब जय ीकृ ण जय जयनारायण जय जय बालाजी का उ घोष करता हँू म शु हुई जब अिमत सुरिभ वषार्, तब,

    रणजीत, राजेश के जल िवनोद की ि मता को िनहारता हँू पूणर्मासी की वेता िनिध म, शरद को िनहारता हँू म।

    म उमंग हँू, आपका िहतेश हँू सौरभ सा महके यिक्त व आपका

    यही कामना करता हँू म। का य की इस माधवी, पीयूष बयार म, आप संग िखलिखलाता हँू

    मेरे तन मन के पूणर् साम यर् से, आप सभी का अिभवादन करता हँू म।।

    रचनाकार: उमंग जैन

    का य-कंुज

    यह किवता हमारे प्रशासिनक कायार्लय के सद य उमंग जैन ने िलखी है। इसम खास बात यह है िक उमंग ने प्रशासिनक कायार्लय म अपने साथ काम कर रहे टाफ सद य के नाम का प्रयोग कर इस किवता की रचना की है।  

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   12 

    याद

    आज सड़क पर टहलते हुए

    शाम के धुंधलके म

    तुमसे यँू मुलाक़ात होगी

    ये सोचा न था

    ज़ख्म भरने के िलए

    बीस बरस काफी ह गे

    ऐसा म सोचता था

    लेिकन अभी ज़ख्म ह

    ये मुझ ेमालूम न था

    तुम िब कुल न बदली थी

    म डूब गया बीती याद म

    याद जो अक्सर मुझ ेपरेशान करती ह

    तुम भी शायद यही सोच रही थी

    तभी तु ह िकसी ने

    पुकारा नए नाम से

    तुम चल दी कुछ िठठक कर

    तुमने पीछे देखा

    तु हारी आँखे पनीली थी ं

    म भी लौट चला

    थका हारा-सा॥

    प्र तुित: संजय नाफड़ े

    प्र तुित: गौरव िबजलवान

    भीड़

    अंधकार से िघरे हुए

    अज्ञान तले व ेदबे हुए

    ना येय कोई ना कोई ल य

    धमर् जाित ह अ त्र-श त्र

    ना कोई बेबस है उनम

    उनकी न कोई लाचारी है

    स य अगर प्र यक्ष भी हो

    देख तो कैसे देख वो

    हर एक उनम धतृरा ट्र है

    हर एक उनम गांधारी है॥

    का य-कंुज

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   13 

    फाँस बात उन िदन िक है जब मने मैिट्रक की परीक्षा उ तीणर् की थी। घर के करीब ही बुजुगर् दंपि त िनवास करते थे। बात तो नही ंहो पाती थी लेिकन जब भी म उनको देखता था, मुझ ेलगता था िक व ेमुझसे कुछ कहना चाह रहे ह । कभी उनके घर के सामने से िनकलता था तो लगता था िक वो मुझ े पुकार रहे ह। अजीब-सा वहम हो गया था मुझ।े िफर एक िदन मुझसे रहा ना गया और म उनके घर चला गया। मुझ ेदेखते ही बुज़ुगर् दंपि त की आँख म एक चमक आ गई। ऐसा लगा मानो उनकी मुराद पूरी हो गयी हो। मेरा घर िब कुल सामने था, लेिकन वापस लौटने की िब कुल भी इ छा नहीं हो रही थी। मने जैसे ही उ हे दादी कहा, उनकी आँख भर आईं। दादी ने चू हे पर खाना बनाकर िखलाया और देखते ही देखते रात के 10 बज गए। अब म प्रितिदन ही वहाँ जाने लगा। एक िदन बात - बात म मने दादा-दादी से उनके ब च के बारे म पछूा।

    उनके दो बेटे थे। बड़ा बेटा अमेिरका म था, और बहुत अ छी नौकरी पर पद थ और सक्षम था। वहीं, दसूरा बेटा मुंबई म बहुत बड़ा सजर्न था। यह सुनते ही मेरे पैर तले जमीन िखसक गई। बेट के इतने सक्षम होने के बाद भी दादा-दादी का ऐसा हाल देखकर मन म एक टीस-सी उठी। एक फांस-सी चुभने लगी िक िजन बेट को आगे-बढ़ाने के िलए दादा-दादी ने सबकुछ दांव पर लगा िदया, उन बेट ने माँ-बाप का क्या हाल िकया है। अगले िदन मने अपनी माँ से कहा िक माँ आप दोन हम दोन भाइय को पढ़ाने म इतना डूब गए हो िक अपने बुढ़ापे की बचत तक लगा रहे हो, क्या यह सही है? माँ-बाबा बोले िक तुम दोन ही हमारे बुढ़ापे का सहारा हो। तु हारे िबना तो हमारा बुढ़ापा और हमारा जीवन िज़ंदा लाश की तरह है। हे ई वर, तो क्या दादा-दादी भी!! क्या बीत रही होगी उनके मन पर? कैसे जी रहे ह वो! म इसी उधेड़बुन म उनके घर पहँुच

    गया, लेिकन वहाँ का य देखकर म हैरान हो गया। घर के बाहर तक दादा-दादी के ज़ोर-ज़ोर से हँसने की आवाज़ आ रही थी। मुझ ेदेखते ही दादी बोलीं- "आ जाओ बेटा, तु ह िकसी से िमलवाती हँू। यह मेरी बेटी अपणार् है। हमारे बुढ़ापे को अब यह ही अपने कंध पर लादे हुए है। दोन बेट की परविरश म कोई कमी ना हो, इसिलए हमने इसको अनपढ़ ही रख िदया। काश उस समय इसको भी पढ़ा-िलखा िदया होता।" इतना सुनते ही मेरे मन म एक फांस चुभी।

    आज भी एक फांस चुभती है मन म िक गलती िकसकी? उन बेट की, जो सक्षम होने के बाद भी अपने माता-िपता की मदद नहीं कर रहे ह, या िफर उन दादा-दादी की, िज ह ने बेटी और बेटे म फकर् समझा। एक फांस जो उस िदन चुभी थी, वो आज भी मन म है और शायद मरत ेदम तक रहेगी।

    हमारे साथी िदनेश ड गरे वारा रिचत इस रचना को नगर राजभाषा कायार् वयन सिमित (बक) इंदौर वारा आयोिजत अ तरबक ता कािलक लघुकथा लेखन प्रितयोिगता म सां वना पुर कार प्रा त हुआ है। 

    लघुकथा

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   14 

    आंचिलक गितिविधयाँ

    िव व पयार्वरण िदवस के अवसर पर वकृ्षारोपण करते हुए मुख्य महाप्रबंधक (एबीयू) ी आिदकेशवन और ी राजेश कुमार 

    इंदौर प्रवास के दौरान प्रबंध िनदेशक ी िदनेश कुमार खरे के साथ मुख्य महाप्रबंधक ी राजेश कुमार और उप महाप्रबंधक ी पीके बालाजी 

    अ तरार् ट्रीय िक्रकेट िखलाड़ी ी नमन ओझा के साथ चचार् करते हुए उप महाप्रबंधक ी राजीव कुमार 

    इंिडया टूड़ े वारा आयोिजत कायर्क्रम माइंड रॉक्स-2019 म उपि थत युवाओं को संबोिधत करते हुए उप महाप्रबंधक ी राजीव कुमार 

    क्षेत्रीय कायार्लय-1 वारा आयोिजत टे्रटजी मीट के दौरान पुर कार िवतरण करते हुए उप महाप्रबंधक ी पीके बालाजी 

    प्रशासिनक कायार्लय म फायर िड्रल के दौरान सद य को संबोिधत करते हुए उप महाप्रबंधक ी पी के बालाजी 

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   15 

    राजभाषा कायार् वयन सिमित की बैठक म ई-पित्रका "संवाद" के प्रवेशाकं का िवमोचन करते हुए उप महाप्रबंधक ी पी के बालाजी 

    आरएसीपीसी-1 वारा वषर् 2018-19 के दौरान गहृ ऋण म शानदार उपलि ध हािसल करने वाले टाफ सद य का स मान िकया गया 

    आंचिलक गितिविधयाँ

    "अब की बार एक हज़ार" कै पेन के दौरान उ कृ ट प्रदशर्न के बाद केक काटते हुए रासमेक रतलाम के टाफ सद य  

    िव व पयार्वरण िदवस के अवसर पर पौधारोपण करते हुए उपमहाप्रबंधक ी पीके बालाजी और क्षेत्रीय प्रबंधक-2 ी आलोक प्रधान 

    बड़वानी म ग्राहक िमलन समारोह का आयोजन िकया गया। इस दौरान का य 

    नराकास (बक) इंदौर के त वावधान म प्रशासिनक कायार्लय म आयोिजत अनुवाद प्रितयोिगता म शािमल प्रितभागी  

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   16 

    ए िदल है मुि कल जीना यहा ँसंवाद के हर अंक म हम आपका पिरचय इंदौर से ता लुक रखने वाले ऐसे यिक्त व से करा रहे ह, िज ह पूरे िव व म मान-स मान िमला है। िपछले अंक म हमने आपका पिरचय न म के फनकार डॉ राहत इंदौरी से करवाया था। इसी क्रम म आइए इस बार िमलत ेह उस हा य कलाकार से, िजसने अपनी कॉमेडी का जाम िपलाकर पूरी दिुनया को अपना दीवाना बना िदया। िफ मी पद पर इनका चेहरा िफ म की कहानी की गंभीरता म डूबे दशर्क के िलए मीठी फुहार के समान होता था। िजनकी त्रिुटहीन शलैी ने भारतीय िसनेमा म हा य शलैी को एक नया अथर् प्रदान िकया है, आइए िमलते ह हमारे अपने जॉनी वॉकर से: 

    'िसर जो तेरा चकराए या िदल डूबा जाए, आजा यारे यास हमारे काहे घबराए'  ‘ यासा’  िफ म का यह गाना सुनते ही हमारे आँख के सामने हा य कलाकार जॉनी वॉकर का चेहरा याद आने लगता है।  यह वही जॉनी वॉकर ह, जो अपने अिभनय के दम पर अकेले ही िफ म को सफल कराने का मा ा रखते थे। आज भी इनका नाम सुनते ही बॉलीवुड फस के अंदर गुदगुदी होने लगती है। इ ह ने अपने 35 साल के कॅिरयर म दशर्क को खूब हंसाया। शु आती दौर म तो इनके िबना कोई भी िफ म को का ट करना बड़ा मुि कल माना जाता था,  क्य िक हर िनमार्ता की चाहत जानी बन चुके थे। वहीं इनके दशर्क की भी संख्या अनिगनत हो चुकी थी।  

    वॉकर का ज म 11 नवंबर 1920 को म यप्रदेश के इंदौर म हुआ था। इनका वा तिवक नाम बद ीन जमालु ीन काजी था। इनके िपता एक कपड़ा िमल म मज़दरू थे। कपड़ा िमल बंद हुई तो पूरा पिरवार मुबंई आ गया। िपता के कंध से 15 लोग के पिरवार को चलाने का बोझ कम

    करने के िलए 27 साल की उम्र म बद ीन बे ट की बस म कंडक्टर की नौकरी के साथ ही फुटपाथ पर फेरी लगाने लगे। वे बस म याित्रय का िटकट काटने के अलावा अजीबोगरीब िक से-कहािनयाँ सुनकर याित्रय का मन

    बहलाते रहते। इसके पीछे उनका उ े य यही था िक कोई उनकी गु त अदाकारी को पहचान ले। पर तु, अफ़सोस! इनके अिभनय की क्षमता को कोई कद्रदान नहीं िमल रहा था। वे िसफर् लोग के िलए एक अ छे टाइमपास ही बने रहे, लेिकन उ ह ने िह मत नहीं हारी और लगातार िफ म म जगह बनाने के िलए कोिशश जारी रखीं।

    कुछ समय के बाद इ ह िफ म म भीड़ का िह सा बनन ेका मौक़ा िमल गया। इसके िलए इनको मात्र पाँच

    पए िमलते थे, िजसम से एक पया स लायर ले लेता था। िफर इनको िकसी तरह िफ म ‘आिखरी पैमाने’ म एक छोटा सा िकरदार िमला, िजसके िलए इनको 80 पए िमले थे। 26 पए की बस कंडक्टरी की नौकरी करने वाले शख्स के िलए एक िफ म म छोटे रोल के 80 पए िमलना अंधेरी रात म चाँद िमलने के समान था।

    यिक्त व

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   17 

    बलराज साहनी से हुई मुलाकात ने बनाया जॉनी वॉकर! 

    एक िदन सेट पर बद ीन अपनी िमिमक्री से िसतारे कलाकार का मनोरंजन कर रहे थे, तभी उस व त के मशहूर अिभनेता बलराज साहनी की नज़र इन पर पड़ी। उ ह ने बद के अदंर के िछपे कलाकार को पहचाना और उनको िफ म म काम िदलाने का वादा िकया। इस बाद को काफी समय बीत गया, लेिकन जब भी बद भूले-भटके बलराज से टकराते तो वो उनके वाद की याद उ ह िदलाया करते। ऐसे म बलराज भी बद को भरोसा िदलाते िक म तु हारे िलए कुछ न कुछ ज़ र क ँ गा।  

    कुछ िदन बाद गु द त को अपनी िफ म के िलए शराबी के रोल के िलए एक कलाकार की ज़ रत पड़ी। बलराज ने इस रोल के िलए बद से शराबी की एिक्टंग करने को कहा और उसे गु द त के ऑिफस म ले आए। जब बद ने शराबी की एिक्टंग करना शु िकया तो सबने सोचा िक सच म एक शराबी ऑिफस म घुस आया है। गु द त भी अपने कमरे से बाहर आकर इस शराबी की हरकत को देखकर मज़ा लेने लगे। बाद म बलराज के बताने पर गु द त यह जानकर आ चयर्चिकत रह गए िक िबना शराब के कोई यिक्त एक शराबी की इतनी अ छी एिक्टंग कर सकता है। इनकी एिक्टंग को देखकर गु द त ने अपनी िफ म ‘बाज़ी’ म इनको बे्रक िदया। कहते ह िक इनकी एिक्टंग को देखकर गु द त ने प्रिसद्ध ि ह की ब्रांड ‘जॉनी वॉकर’ के नाम पर इनका नाम रखा था। िफ म म अक्सर शराबी की भूिमका म नज़र आने वाले वॉकर ने अपनी िज़ंदगी म शराब को कभी हाथ नहीं लगाया।  

    लाने से यादा किठन है हँसाना  फुटपाथ पर सामान बेचन ेऔर िसतारे कलाकार के आगे िवदषूक बनकर तरसने वाले इस युवक ने 1951 म बाज़ी िफ म म काम करने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे अपने हा य अिभनय से दशर्क को िसनेमाघर तक खींच ही लात े थे। वॉकर जहाँ रोते को हँसने की क्षमता रखत े थे, वहीं अपनी बेहतरीन अदाकारी से वे भावुक भी कर देते थे। कुछ ऐसा ही उ ह ने ऋिषकेश मुखजीर् की िफ म आनंद म कर िदखाया था। बाज़ी, जाल, आँिधयाँ, बाराती, टैक्सी ड्राइवर, िम टर एंड िमसेस 55, ीमती 420, सीआईडी, यासा, गेटवे ऑफ इंिडया, िम टर

    एक्स, मधुमती, कागज के फूल, सुहाग िसदंरू, घर बसा के देखो, मेरे महबूब जैसी िहट िफ म के अलावा जॉनी वॉकर ने 1920 के दशक से 2003 के बीच लगभग 300 िफ म म अिभनय िकया। इ ह िफ म ‘मधुमित’  म सवर् े ठ सहायक अिभनेता और िफ म 'िशकार' म हा य कलाकार के िलए िफ मफेयर अवॉडर् से नवाज़ा गया। इसी िफ मी सफर के बीच इनको नूरजहाँ से यार हो गया और उ ह ने पिरवार की इ छा के िव द्ध नूरजहाँ से शादी कर ली थी। पूरी िजंदगी लोग को हँसाने वाले मशहूर व आला दज के हा य कलाकार जॉनी वाकर 29 जुलाई 2003 को सब को रोता छोड़ इस दिुनया से अलिवदा कह गए। इनके िनधन पर त कालीन प्रधानमंत्री अटल िबहारी वाजपेयी न ेशोक जताते हुए कहा थे, "जॉनी वॉकर की त्रिुटहीन शैली ने भारतीय िसनेमा म हा य शलैी को एक नया अथर् िदया है।" अपनी बेिमसाल अदकारी से जॉनी वॉकर ने वह मुकाम हािसल कर िलया है िक वो जब भी याद आते ह, लब पर एक मु कान छोड़ जाते ह।  

    पर्स्तिुत:

    िशखा राज े

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   18 

    बे ट एंड फेयर लेयर बिकंग के साथ ही हमारे बक के सािथय ने यिक्तगत तर पर भी अपनी प्रितभा से कई कीित र्मान थािपत िकए ह। इस कॉलम के तहत हम हर अंक म हम ऐसे ही एक हरफनमौला साथी से आपका पिरचय करवा रहे ह। इस अंक के हरफनमौला ह हमारे साथी संजय मेहता। संजय टेबल टेिनस के रा ट्रीय तर के िखलाड़ी ह और वतर्मान म बक म मखु्य प्रबंधक के प म कायर्रत ह।  

    बचपन म अपने िपता को टेबल-टेिनस खेलता देखकर संजय मेहता ने भी इस खेल म अपने हाथ आजमाने शु कर िदये थे। वैसे तो इनको सभी खेल पसंद थे, लेिकन उ ह ने िकसी भी टीम गेम को अपनी पसंद बनाने के बजाय टेबल-टेिनस को चुना। इसका कारण वो बताते ह िक टेबल टेिनस म आपका यिक्तगत प्रदशर्न मायने रखता है। आप अ छा खेलोगे, जीतोगे तो आगे जाओगे। अपनी जीत-हार के िलए िखलाड़ी वयं िज मेदार होता है। उसके पास हार का कोई बहाना नहीं होता। साथ ही इस खेल म घायल होने की संभावना काफी कम होती है।

    संजय ने 14 साल की उम्र से ही टेबल-टेिनस की थानीय प्रितयोिगताओं म िह सा लेना शु कर िदया था। वे म यप्रदेश टेट चिपयनिशप के अ तगर्त सबजूिनयर, जूिनयर और डब स म पांच बार िवजेता रहे ह। पटना म आयोिजत अिखल भारतीय अ तरिव यालयीन प्रितयोिगता म म यप्रदेश का प्रितिनिध व िकया। मैसूर म आयोिजत अिखल भारतीय अ तरिव विव यालयीन पधार् म देवी अिह या िव विव यालय का प्रितिनिध व िकया। 1983 म िबलासपुर म आयोिजत म यप्रदेश रा य टीटी प्रितयोिगता के िवजेता रहे। जूिनयर वगर् और पु ष वगर् दोन म प्रदेश का प्रितिनिध व करने के कारण पर उ ह टेट बक ऑफ इंदौर से िनयुिक्त का प्र ताव िमला।

    1984 म इ ह ने बक जॉइन िकया। अपने अ छे प्रदशर्न से लगातार बक और रा य का नाम ऊँचा कर रहे संजय बताते ह िक एक बार पिटयाला म उ ह कोिरयाई कोच और पूवर् िव विवजेता पािकर् व िगल से टे्रिनगं लेने का अवसर प्रा त हुआ। इस टे्रिनगं ने एक िखलाड़ी से एक अ छे िखलाड़ी म पिरवित र्त होने म मह वपूणर् भूिमका

    अदा की है। इ ह ने गोवा म आयोिजत फोजार् इंटरनेशनल मा टसर् टेबल टेिनस प्रितयोिगता म भारत का प्रितिनिध व िकया है। 2018 म जयपुर म 26वीं नेशनल मा टसर् टेबलटेिनस चिपयनिशप म म यप्रदेश का प्रितिनिध व िकया। आरबीआई

    वारा भोपाल 2017-18 म आयोिजत इंटरऑिफ़स टूनार्मट

    म सकर् ल टीम का प्रितिनिध व िकया और िवतीय थान प्रा त िकया। साथ ही ऑलइंिडया इंटरसकर् ल टेबलटेिनस चिपयनिशप म लगातार 2012 से भोपाल सकर् ल टीम का प्रितिनिध व कर रहे ह। 2002-03 म िद ली म हुए कॉमनवे थ खेल म बतौर टेिक्नकल ऑिफिशयल िह सा िलया।

    म यप्रदेश टेबलटेिनस असोिशएशन वारा बे ट एंड फेयर लेयर अवाडर् से नवाजे जा चुके सजंय मेहता अगले साल फ्रांस म आयोिजत होने वाली व डर् चैि पयनिशप प्रितयोिगता म देश का प्रितिनिध व करने वाले ह, इनको प्रितयोिगता के साथ ही भिव य के िलए भी भारतीय टेट बक पिरवार की ओर से हािदर्क शभुकामनाएँ।

    हरफनमौला

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   19 

    सवंहनीयता पहल म अग्रणी इंदौर लगातार तीन साल से व छता म नंबर-1 रहने वाले इंदौर शहर के वभाव से पे्रिरत हमारे इंदौर अंचल ने संवहनीयता पहल के तहत तीन प्रमखु प्रयास िकए ह। अंचल वारा िकए गए तीन प्रयास म से पहला है, पिक्षय के िलए घ सले, दाना और पानी की यव था करना। दसूरा है, वषार् जल संचयन की यव था करना और तीसरा है- बायो कंपो ट यूिनट की थापना करना। वषार् जल संचयन के तहत अंचल पिरसर म ि थत अितिथ गहृ की छत पर जमा होने वाले बािरश के पानी को यूबवेल से जोड़ा गया है। िजससे प्राकृितक प से भूिम की जल सचंयन क्षमता को बढ़ाने की कोिशश की जा रही है। वही, बायो कंपो ट यूिनट के मा यम से हम अपने बगीच से िनकलने वाली सूखी पि तय , टहिनय अथवा दसूरे यथर् के अवयव को खाद म बदलकर उ ह अपने ही बगीच म उपयोग कर पाएँगे। प्राकृितक प से तैयार यह खाद भूिम की उवर्रकता बढ़ाने म भी सहायक िसद्ध होगी। अभी हाल ही म हमारे प्रबधं िनदेशक ी िदनेश कुमार खरे ने अपने इंदौर प्रवास के दौरान भोपाल मंडल के मुख्य महाप्रबंधक ी राजीव कुमार के साथ अंचल पिरसर म इस बायो कंपो ट यूिनट का उ घाटन िकया है। त वीर के मा यम से पेश है इस अवसर के कुछ यादगार पल:

    पहल

    प्रशासिनक कायार्लय इंदौर म बायो कंपो ट यूिनट का उ घाटन करते हुए प्रबंध िनदेशक ी िदनेश कुमार खरे, मुख्य महाप्रबंधक ी राजेश कुमार और उप महाप्रबंधक ी पी के बालाजी 

    इस दौरान उपि थत विर ठ कायर्पालक को यूिनट की जानकारी प्रदान करते अंचल के अिधकारी। इस दौरान प्रबंध िनदेशक ी िदनेश कुमार खरे ने अंचल पिरसर म वकृ्षरोपण भी िकया। 

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   20 

    चॉकलेट कुछ समय पूवर् जब म एक अधर्शहरी शाखा म पद थ था, तब की एक घटना आप लोग के साथ साझा करता हंू। हो सकता है यवसाय बढ़ाने म आप लोग इससे लाभाि वत ह ।

    एक बार एक पिरवार पित, प नी और लगभग 3 वषर् का उनका पुत्र एक साथ शाखा म कुछ कायर् के िसलिसले म आए। मने ब चे को एक चॉकलेट दी और उसके िसर पर हाथ रखकर यार से उसका नाम पूछा। उसके माता िपता को मखुाितब होते हुए मने कहा- "िकतना यारा ब चा है। बड़ा होकर अव य डॉक्टर बनेगा!! वैसे डॉक्टर बनने के िलए काफी पैस की ज रत होती है, आप लोग ने ब चे के भिव य के िलये कोई लान िकया है या नहीं?" ब चे की माँ के वारा नहीं कहने पर मने एसबीआई लाइफ के चाइ ड लान के बारे म िव ततृ प से समझाया। ब चे के िपता अपने आपको प नी की नजर म गौरवाि वत होने के िलये मेरे वारा बताए गए उ पाद को नज़रअ दाज़ करते हुए चले गए। म अ छी तरह जानता था यह पिरवार बहुत ज द ही आनेवाला है। दो िदन बाद ब चे के िपता मेरे पास आए और बोले, "सर आपने जो प्रोडक्ट उस िदन बताया था, आज उसे कर दीिजए।" मने उनसे पूछा, "सर आप परेशान क्य िदख रहे ह?" जवाब था- "जब से आपने ब चे के भिव य के बारे म बात की है, मेरी प नी खाना-पीना तक भूल गई है। बोल रही है पहले बक जाइए और एसबीआई लाइफ का चाइ ड लान लेकर आइए।" इस तरह एक लाख का चाइ ड लान हुआ। आप सोिचये एक चॉकलेट क्या कर सकती है। आप भी कोई नया आइिडया लाइए और सफल बिनये। सौ म से एक आइिडया भी सफल हुआ तो आप अव य िवजेता बनगे।

    पूछने म क्या जाता है! बात उन िदन की है, जब मेरी पोि टंग एक छोटे से क बे म थी। जो न ही िजला था, न ही तहसील और न ही तहसील का ट पा।

    एक बार म अपने शाखा पहंुचने के िलये बस म सफर कर रहा था, तभी मेरा यान पड़ोस म बैठे यिक्त के तरफ गया, जो एक साधारण से वशेभूषा म बजुुगर् िकसान लग रहे थे। मेरे मन म अनायास उपमहाप्रबंधक महोदय की बात याद आयी िक "पूछने म क्या जाता है"। मैने उनसे बातचीत की शु आत की, और बातचीत के क्रम म उ ह ने बताया िक उनका बेटा माइक्रोसॉ ट क पनी म सॉ टवेयर इंजीिनयर है, जो अभी अमेिरका म पद थ है। मेरे िलए यह जानकारी काफी मह वपूणर् थी, क्य िक जो यिक्त एनआरआई है, वाभािवक है उसकी आमदनी भी काफी यादा होगी। मने उ ह अपना िविजिटगं काडर् िदया, और लड़के को आने पर मुझ ेिमलाने का िनवेदन िकया।

    लगभग 2 माह के बाद उनका लड़का मुझसे िमलने के िलए आया, िजसे 2 आवास लोन 50 लाख के, 5 लाख की एसबीआई लाइफ की पॉिलसी, 10 लाख का डीएएफ़ और 20 हजार का िसप िकया।

    जरा सोिचये "पूछने म क्या जाता है" का मह व िकतना है। हम सभी, "पूछने म क्या जाता है" लोगन को यिद अपने जीवनशलैी का िह सा बना ल, तो िकसी भी प्रकार के ल य के िलए परेशान नहीं होना पड़गेा।

    अवसर हम सब के आस-पास ही ह, बस नज़िरए की बात है।

    प्र तुित: नवीन शमार्

    पे्ररणा

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   21 

    मतदान का महापवर् हैएक बकर होने के साथ ही हम सब एक िज मेदार नागिरक भी है। हाल ही म स प न लोकसभा चुनाव म भी हम सभी ने बढ़-चढ़ कर अपनी इस िज मेदारी को िनभाया है। संवाद के प्रवेशांक म हमने आपसे देश के सबसे बड़ ेपवर् मतदान के बाद खींची हुई त वीर साझा करने का आ वान िकया था। इसके िलए हम कई त वीर प्रा त हुईं। उनम से चुिनदंा त वीर इस अंक म शािमल की गई ह।  

    आ वान

    1) एएल भीमे अपने पिरवार के साथ  

    9) द्धा अग्रवाल अपने जीवनसाथी के साथ  10) कुलदीप माथुर एवं उनका पिरवार

    11) िमिलदं उईके

    2) नेहा चौहान 3) ि मता पोरवाल 4) सजंय नाफड़ े

    3 4 

    10 

    5) सुरे द्र िनगम 6) महेश िब लोरे 7) पदम घाटे 8) पंकज जैन अपने पिरवार के साथ 

    11 

     

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   22 

                

        

    1  2  3  4 

    5 7 6  8 

    9  10  11 

    13  14  15 

    12) सुजीत राव 13) शरद गोयल 14) एचपी वािडया और 15) नील ुजैन अपने-अपने पिरजन के साथ 

    7) सजंय रीछिरया 8) पीयुष िवजयवगीर्य 9) मनोज र तोगी 10) हेमलता सोनपरोते 11) राजेश सक्सेना अपने-अपने पिरवारजन के साथ 

    1) पीयुष िवजयवगीर्य 2) एमके शमार् 3) अिभनव जोशी 4) िनितन पवार 5) आरएन राजौिरया 6) अनुराग गौड़ एवं उनके िप्रयजन 

    मतदान

    के कु

    छ पल 

    12 

  •  प्र शा स िन क का यार् ल य इं दौ र की पा िर वा िर क ई - प ित्र का   23 

    एक पािरवािरक समारोह म अपने माता-िपता के साथ आयुष 

     

    िज़द है आसमान छूने की!  

    आज हर क्षेत्र म हमारे टाफ सद य के प्रितभावान ब चे अपने पिरवार के साथ ही बक का नाम रोशन कर रहे ह। संवाद के हर अंक म हम आपका पिरचय हमारे टेट बक पिरवार के एक प्रितभावान सद य से करवा रहे ह, िजसने

    अपनी मेहनत से अपने माता-िपता और हमारे सं थान को गौरवाि वत िकया है। इस बार आपके सामने ह इंदौर ि थत टेट बक ज्ञानाजर्न कद्र म फैक टी के पद पर कायर्रत ी राकेश िम ा के सुपुत्र आयुष िम ा, िज ह हाल ही म प्रिसद्ध

    कंपनी जेपी मॉगर्न एंड चेज़ से आकषर्क वेतन पर नौकरी �