egkohj dfojk; · हो अंितम वह शबद / शुर करते है...

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'कुणडिलया छनद' सृजन

'कुणडिलया छनद' िहदी छनद पिरवार का पुराना छनद ह।ै 'कुणडिलया' छनद की शुरआत 'दोह'े सेहोती ह ैऔर ततपशात चार पंिकयां रौला की होती ह।ै अंत मे वही शबद या शबद समूह आनाअिनवायर ह ैिजस चरण से ‘कुणडिलया' शुर होता ह।ै उदाहरणाथर िनम कुणडिलया दखेे :—

िजसमे सुर-लय-ताल ह ै/ कुणडिलया वह छंद (पहली पँिक के दोनो चरणो मे 13+11=24 माताएँ)सबसे सहज-सरल यही / छह चरणो का बंद (दसूरी पँिक के दोनो चरणो मे 13+11=24 माताएँ)

छह चरणो का बंद / शुर दोह ेसे होता (तीसरी पँिक के दोनो चरणो मे 11+13=24 माताएँ)रौला का िफर रप / चार चरणो को धोता (चौथी पँिक के दोनो चरणो मे 11+13=24 माताएँ)महावीर किवराय / गयेता अित ह ैइसमे (पाँचवी पँिक के दोनो चरणो मे 11+13=24 माताएँ)हो अंितम वह शबद / शुर करते ह ैिजसमे (छटी पँिक के दोनो चरणो मे 11+13=24 माताएँ)

(1.)सूखा-बाढ, अकाल ह,ै कुदरत का आकोश / िकया पदषूण अतयिधक, मानव का ह ैदोष

मानव का ह ैदोष, धरा पे संकट छाया / शाप बना िवजान, िवकास कहाँ हो पायामहावीर किवराय, लाचार पयासा-भूखा / झेल रह ेहम मार, कभी बाढ, कभी सूखा

(2.)दःुख मे आँसू संग ह,ै तो सुख मे मुसकान / ढलकर सुख-दःुख मे बने, मानव की पहचानमानव की पहचान, समपदा बडी अनूठी / अनुभव की यह खान, नगो पर जडी अंगूठी

महावीर किवराय, फले-फूले नर सुख मे / कभी न छोडे साथ, संग ह ैआँसू दःुख मे

(3.)तोडी कची आिमयाँ, चटनी लई बनाय / चटकारे ले तोहरा, पेमी-पीतम खाय

पेमी-पीतम खाय, सखी सुन-सुन मुसकाती / और कह ँकया तोय, लाज से मै मर जातीमहावीर किवराय, राम बनाय हर जोडी / कयो इतनी सवािदष, आिमयाँ तूने तोडी

(4.)दीवाने-गािलब पढो, महावीर यूँ आप / उदूर, अरबी, फारसी, िहदी करे िमलाप

िहदी करे िमलाप, सभी का िमलन सुहाना / िमजार के हो शेर, बने यह जग दीवानाह ैकिव के यह बोल, िचराग तले परवाने / आँखे बनी जुबान, पढे सब कुछ दीवान

*****किव : महावीर उतरांचली

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dq.Mfy;k laxzg (Kundaliya Collection)

© egkohj mRrjkapyh (Mahavir Uttranchali)

2016 izFke laLdj.k

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िवषय सूची

मानव दानव बन गया / कैसा यह दसतूर है.......7ममता ने संसार को / ईशर का यह शाप कयो.......8पहचानो इस सतय को / राधा-रानी कृषण की,.......9सावन के बदरा िघरे / मसती का तयौहार ह,ै.......10

आटा गीला हो गया / नेकी कर जूते िमले.......11कुणडिलया के छंद मे / िजसमे सुर-लय-ताल ह,ै.......12छह ऋतु बारह मास ह ै/ निदया मे जीवन बह.े......13

िघन लागे उलटी करे / बूढा पीपल गांव का.......14माया मृग भटका िकये / तू-तू, मै-मै हो गई.......15

रब तो ह ैअहसास भर / काटा पेड हरा-भरा.......16जो भी दखेे पयार से / सारी भाषा बोिलयाँ.......17

जीवन हो बस दशे िहत/ कूके कोिकल बाग मे.......18रंगो का तयौहार है / होठो पर ह ैरागनी,.......19

पोथी-पती बाँचकर / आई िजममेदािरयां........20मन मे हाहाकार ह ै/ मरते-खपते कट गए.......21आजादी पाई कहाँ / बात न कोई मानता.......22

राजनीित मे आ गई / खेतो मे जयो आप ही.......23गल रही ओजोन परत / अनपढ सदा दखुी रहा.......24

उतसािहत ह ैगोिपयाँ / गोरी इतराकर कह.े......25कयो पगले डरता यहाँ / पंछी बेशक कैद ह.ै......26

गीता मे शी कृषण ने / वन मे हिरयाली बहत.......27कयो मेरी लाडो बडी / ह ैकिवयो मे किव अमर.......28

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सवामी तुलसीदास ह ै/ दौलत दःुख का मूल ह.ै......29फूलो की मकरंद पे / बंसी बाजे कृषण की.......30

कौरव माने कब िनयम / करवट बदले िदन गया.......31जब-जब दघुरटना घटे / किवता ने की खुदकुशी.......32शरमा जाए कयो हवा / डाली िजतनी हो घनी.......33नेकी तुम करते चलो / दर-दर भटका यार मै.......34

यूँ तो की ह ैशा'इरी / ममता मायाजाल ह.ै......35लालच का मुख दिेखये / मंिदर-मिसजद तयागकर.......36

ऊपर वाला एक ह ै/ घीसू माधव के यहाँ.......37पापी पंछी उड गया / िजनको भी अपना कहा.......38

दिुनया मे आदशर ह ै/ मािलक सबका एक ह.ै......39दीवाने-गािलब पढो / दो पल ही िखलना यहाँ.......40अचछे कल की चाह मे / मािलक मकान कौन ह.ै......41

माँ का सर पर हाथ यिद / कोई तो समझाइये......42सचाई वा धमर को / तोडी कची आिमयाँ........43

जनता की यह मांग ह ै/ हािन-लाभ, जीवन-मरण.......44नौकर-चाकर छोडकर / सुख-दःुख लगा हआ यहाँ.......45

दःुख मे आँसू संग ह ै/ सागर भी छोटा लगे.......46बीता ह ैजो एक पल / कठपुतली का खेल ह.ै......47

लकडी जीवन मृतयु तक / बोलो मत वाणी गलत.......48साहस, ताकत, वीरता / उतरायण मे सूयर ह.ै.......49

सन पचास लागू हआ / मन पसनिचत हो गया.......50सूखा-बाढ, अकाल ह ै/ माँ पर अब संकट नही.......51

अित सुनदर गोरी लगे / भारत की टकसाल कयो.......52पदषूण महारोग ह ै/ चनदा को सूरज कह.े......53काँधे पर बेताल सा / टी वी इनटरनेट ह.ै......54

िवपदा मे छोडे नही / नेता की ह ैहरकते.......55दोह ेपद ऐसे रचे / जहर-बुझी-सी िजदगी.......56

पॉपटी डीलर बने / हरदम िगरिगट की तरह.......57रांझे के मन मे सदा / इस गलोबल बाजार मे.......58मसतानी के रप पर / ताजमहल अनमोल ह.ै......59

अकबर के िदल मे सदा / िहनदी-िहनदी कर रह.े......60जो िमल पाया भागय ह ै/ दिुनया मे इंसान को.......61

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मानव दानव बन गया

मानव दानव बन गया, ऐसी चली बयार। चह ँओर आतंक की, मचती हाहाकार।

मचती हाहाकार, धमर, मजहब को भूले। बम, गोला, बारद, इसी के दम पर फूले। महावीर किवराय, बन रह ेमानव दानव। चला यिद यही दौर, बचेगा कैसे मानव।

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कैसा यह दसतूर है

कैसा यह दसतूर ह,ै कैसा खेल अजीब। सीधे साधे लोग ही, चढते यहाँ सलीब।

चढते यहाँ सलीब, जहर िमलता सचो को। बुरे करे सब ऐश, कष दतेे अचछो को। महावीर किवराय, बडा ह ैसबसे पैसा। इसके आगे टूट, चुका सच कैसा कैसा।

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ममता ने संसार को

ममता ने संसार को, िदया पेम का रप। माँ के आँचल मे िखली, सदा नेह की धूप। सदा नेह की धूप, पयार का ढंग िनराला। भूखी रहती और, बाँटती सदा िनवाला।

महावीर किवराय, िदया जब दःुख दिुनया ने। िसर पर हाथ सदवै, रखा माँ की ममता ने।

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ईशर का यह शाप कयो

ईशर का यह शाप कयो, अब तक अप-टू-डेट। हर युग मे खाली रहा, िनधरन का ही पेट। िनधरन का ही पेट, राम की लीला नयारी। सोये पीकर नीर, सडक पर कयो खुदारी।

महावीर किवराय, घाट का रहा न घर का। भूखे पेट गरीब, न पूजन हो ईशर का।

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पहचानो इस सतय को

पहचानो इस सतय को, िमट जायेगी साख। जीवन दशरन बस यही, इक मुटी भर राख। इक मुटी भर राख, कह ेसब जानी धयानी। मगर आज भी सतय, नही समझे अजानी। महावीर किवराय, बात बेशक मत मानो। िनकट खडी ह ैमृतयु, सतय कडवा पहचानो।

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राधा-रानी कृषण की

राधा-रानी कृषण की, थी बचपन की मीतमीरा ने भी सुन िलया, बंसी का संगीत

बंसी का संगीत, हरे सुध-बुध तन-मन कीमुरलीधर गोपाल, खबर तो लो जोगन कीमहावीर किवराय, अमर यह पेम कहानीमीरा बनी िमसाल, सुनो ओ राधा-रानी

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सावन के बदरा िघरे

सावन के बदरा िघरे, सखी िबछावे नैनरप सलोना दखेकर, साजन ह ैबेचैनसाजन ह ैबेचैन, भीग ना जाये सजनीढलती जाये साँझ, बढे हरेक पल रजनी

महावीर किवराय, होश गुम ह ैसाजन केमधुर िमलन के बीच, िघरे बदरा सावन के

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मसती का तयौहार

मसती का तयौहार ह,ै िखली बसंत बहारफूलो की मकरंद से, सब पर चढा खुमारसब पर चढा खुमार, आज ह ैयारो होलीसब गाएँ मधुमास, िमतगण करे िठठोलीमहावीर किवराय, खुशी तो िदल मे बसतीिनरोग जीवन हतेु, लाभदायक ह ैमसती

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आटा गीला हो गया

आटा गीला हो गया, कया खाओगे लालबहत तेज इस दौर मे, महगंाई की चाल

महगंाई की चाल, िससक रह ेसभी िनधरनकभी न भरता पेट, बना ह ैशािपत जीवन

महावीर किवराय, भूख बैरन ने काटाजनमानस लाचार, हो गया गीला आटा

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नेकी कर जूते िमले

नेकी कर जूते िमले, यह कलयुग की रीतनफरत ही बाकी बची, भूल गए सब पीत

भूल गए सब पीत, गौण ह ैिरशते-नातेमाया बनी पधान, उसे सब गले लगातेमहावीर किवराय, लाख कीजै अनदखेीपर भूले से यार, कभी तो कर ले नेकी

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कुणडिलया के छंद मे

कुणडिलया के छंद मे, कहता ह ँमै बात अंत समय तक ही चले, यह पयारी सौगात यह पयारी सौगात, छंद यह सबसे नयारा दोहा-रौला एक, िमलाकर बनता पयारा महावीर किवराय, लगे सुर पायिलया के अंतरमन मे तार, बजे जब कुणडिलया के

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िजसमे सुर-लय-ताल है

िजसमे सुर-लय-ताल ह,ै कुणडिलया वह छंद सबसे सहज-सरल यही, छह चरणो का बंद

छह चरणो का बंद, शुर दोह ेसे होता रौला का िफर रप, चार चरणो को धोता महावीर किवराय, गयेता अित ह ैइसमे हो अंितम वह शबद, शुर करते ह ैिजसमे

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छह ऋतु बारह मास है

छह ऋतु बारह मास ह,ै गीषम, शरद, बरसात सवचछ रह ेपयारवरण, सुबह-शाम, िदन-रात सुबह-शाम, िदन-रात, न कोई करे पदषूण वसंुधरा अनमोल, िमला सुनदर आभूषण िजसमे हो आनंद, सुधा समान ह ैवह ऋतु

महावीर किवराय, िमले ऐसी अब छह ऋतु

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निदया मे जीवन बहे

निदया मे जीवन बह,े जल से सकल जहान मोती बने न जल िबना, जीवन रह ेन धान

जीवन रह ेन धान, रहीमदास बोले थे अचछी ह ैयह बात, भेद सचा खोले थे

महावीर किवराय, न कचरा कर दिरया मे जल की कीमत जान, बह ेजीवन निदया मे

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िघन लागे उलटी करे

िघन लागे उलटी करे, ठीक न होवे िपत जखम िदए आतंक ने, दखुी दशे का िचत दखुी दशे का िचत, कतल िरशतो का करते कभी धमर के नाम, कभी जाित-जहर भरते महावीर किवराय, बात कडवी िपन लागे िससटम िजममेदार, आचरण से िघन लागे

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बूढा पीपल गांव का

बूढा पीपल गांव का, रोता ह ैिदन, रैन शहरो के िवसतार से, उजड गया सुख, चैन उजड गया सुख, चैन, कंकरीटो के जंगल मचती भागम-भाग, कारखानो के दगंलमहावीर किवराय, बना ह ैसोना, पीतल युवा हआ बरबाद, तडपता बूढा, पीपल

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मायामृग भटका िकये

माया मृग भटका िकये, जब-जब मेरे पास इचछाओ मे डूबकर, तब-तब रहा हतास

तब-तब रहा हतास, िमटी न िमटे यह तृषणा आिदम युग की पयास, रािधका िबन जयो कृषणा

महावीर किवराय, लगी झुरने यह काया बूढा हआ शरीर, पर न िमटी मोह माया

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तू-तू, मै-मै हो गई

तू-तू, मै-मै हो गई, बात बनी गंभीर चलने लगे िववेक पर, लोभ-मोह के तीरलोभ-मोह के तीर, पहलेी तब कया बूझे जब न बचे िववेक, िवकलप न कोई सूझे महावीर किवराय, जरा भी मत कर टै-टैवरना होगी वथर, करी जो तू-तू, मै-मै

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रब तो ह ैअहसास भर

रब तो ह ैअहसास भर, नही धूप या छाँव वो तो घट-घट मे बसा, नही हाथ वा पाँव

नही हाथ वा पाँव, िनराकार उसे जानोकह गए दयाननद, बात वेदो की मानो

महावीर किवराय, पता यह सच सबको ह ैलाख करो इंकार, मगर जग मे रब तो है

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काटा पेड हरा-भरा

काटा पेड हरा-भरा, आँगन मे दीवार भाई-भाई लड रहे, मांग रह ेअिधकार मांग रह ेअिधकार, धमर संकट ह ैभारी िरशते-नाते गौण, गई सबकी मित मारी महावीर किवराय, हो रहा सबको घाटा

लेिकन कया उपचार, पेड खुद ही जो काटा

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जो भी दखेे पयार से

जो भी दखेे पयार से, िदल उस पर कुबारन जग मे ह ैयह पेम ही, सब खुिशयो की खान सब खुिशयो की खान, करो िदलबर की पूजा

ह ैपभु का वह रप, नही पेमी-सम दजूा महावीर किवराय, तिनक अब वो भी दखेे द ेदो उस पर जान, पयार से जो भी दखेे

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सारी भाषा बोिलयाँ

सारी भाषा बोिलयाँ, िवदा का ह ैरप िवश मे चह ँओर ही, िखली जान की धूप िखली जान की धूप, रप ह ैइसका नयारा अकर ने हर छोर, िकया ऐसा उिजयारा महावीर किवराय, िवजान नही तमाशा एक जगह अब दखे, यंत मे सारी-भाषा

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जीवन हो बस दशे िहत

जीवन हो बस दशे िहत, सबका हो कलयाण "महावीर" चारो तरफ, चले पयार के वाण

चले पयार के वाण, बने अचछे संसकारी उतम शासन-तंत, बने अचछे नर-नारी

दशे-भक की राय, फूल-सा मन उपवन हो हर िविध हो कलयाण, दशे िहत हर जीवन हो

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कूके कोिकल बाग मे

कूके कोिकल बाग मे, नाचे सममुख मोर मनोहरी पयारवरण, आज बना िचतचोर

आज बना िचतचोर, पवन शीतल मनभावन मृतयुलोक मे िमत, सवगर-सा लगता जीवन महावीर किवराय, युगल पेमी मन बहके

काश! डाल पे आज, हदय कोिकल बन कूके

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रंगो का तयौहार है

रंगो का तयौहार ह,ै उडने लगा अबीर पेम रंग गहरा चढे, उतरे न महावीर

उतरे न महावीर, सजन मारे िपचकारी सजनी िलए गुलाल, खडी कबसे बेचारी पेम रंग के बीच, खेल चले उमंगो का जग मे ऐसा पवर, नही दजूा रंगो का

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होठो पर ह ैरागनी

होठो पर ह ैरागनी, मन गाये मलहार बरसे यूँ बरसो बरस, मधुिरम-मधुर-फुहार मधुिरम-मधुर-फुहार, पीत के राग-सुनाती

बहते पानी संग, गीत निदया भी गाती महावीर किवराय, ताल बंधी सांसो पर जीवन के सुर सात, गुनगुनाते होठो पर

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पोथी-पती बाँचकर

पोथी-पती बाँचकर, होवे कौन सुजान शबद पेम के जो कह,े उसको जानी मान

उसको जानी मान, िदलो मे घर कर जाता मानव की कया बात, जानवर सेह लुटाता महावीर किवराय, बात ह ैसारी थोथी िहया न उपजे पेम, वथर ह ैपती-पोथी

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आई िजममेदािरयाँ

आई िजममेदािरयाँ, काँप गए नादान ह ैयह टेडी खीर पर, जो खाए बलवान

जो खाए बलवान, शिक उसको िमलती है माने कभी न हार, मुिक उसको िमलती ह ैमहावीर किवराय, काम मुिशकल ह ैभाई भाग गया वो वीर, मुसीबत िजस पर आई

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मन मे हाहाकार है

मन मे हाहाकार ह,ै जीना कयो बेकार कर पैदा सची लगन, तो जीवन साकार

तो जीवन साकार, वथर न जलाओ जी को पीतम अगर कठोर, भूल जा तू भी पी को महावीर किवराय, पयार मत ढंूढो तन मे रंग चढेगा और, लगन सची यिद मन मे

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मरते-खपते कट गए

मरते-खपते कट गए, दिुवधा मे िदन, रैन जीवन के दो पल बचे, ले ले अब तो चैन ले ले अब तो चैन, साँस जाने कब उखडे कर कुछ अचछे काम, छोड द ेलफडे-झगडे महावीर किवराय, राम की माला जपते

बहत िजए हम िमत, कल तलक मरते-खपते

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आजादी पाई कहाँ

आजादी पाई कहाँ, दशे बना अँगरेज कयो न रंग दशेी चढे, रो रह ेरंगरेज

रो रह ेरंगरेज, न पूछे बाबू कोई िनज भाषा िबन जान, वथर मे दगुरित होई

महावीर किवराय, चार सू ह ैबरबादी भाषा का अपमान, िमली कैसी आजादी

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बात न कोई मानता

बात न कोई मानता, झूठ झाडते लोग बेशमी से रात-िदन, दाँत फाडते लोग दाँत फाडते लोग, कष दकेे खुश रहते

इन लोगो को यार, बोझ धरती का कहते महावीर किवराय, रह भी इनकी सोई

भले कहो तुम लाख, मानता बात न कोई

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राजनीित मे आ गई

राजनीित मे आ गई, महावीर अब खोट नोट की चोट पे सभी, माँग रह ेह ैवोट माँग रह ेह ैवोट, िगरी सबकी खुदारी ववसथा हई भष, दादािगरी ह ैसारी

महावीर किवराय, िगरावट अथरनीित मे गलत चयन आधार, खोट यूँ राजनीित मे

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खेतो मे जयो आप ही

खेतो मे जयो आप ही, फैली खरपतवार इस धरा मे गरीब यूँ, िमलते ह ैसरकार

िमलते ह ैसरकार, कह ँकया िकसमत खोटी मुिशकल से दो जून, िमले गरीब को रोटी

महावीर किवराय, िमली हमे यह दहे कयो हम ह ैखरपतवार, उगे खुद खेतो मे जयो

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गल रही ओजोन परत

गल रही ओजोन परत, पगित बनी अिभशाप वक अभी ह ै चेितए, पछतायेगे आप पछतायेगे आप, साँस घुटी जाएगी

पृथवी होगी नष, जान कया रह पाएगी महावीर किवराय, समय पर जाओ संभल कीजै कुछ उपचार, ओजोन परत रही गल

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अनपढ सदा दखुी रहा

अनपढ सदा दखुी रहा, कह ेकिव महावीर पढा-िलखा इंसान ही, िलखता ह ैतकदीर

िलखता ह ैतकदीर, अिलफ, बे को पहचानो क, ख, ग को रखो याद, िवदशेी भाषा जानो धरती से बहाणड, जमाना पहचंा पढ-पढ जागो बरखुरदार, रहो न आज से अनपढ

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उतसािहत ह ैगोिपयाँ

उतसािहत ह ैगोिपयाँ, नाचे मन मे मोर रप-रंग शृंगार का, कौन सखी िचतचोर कौन सखी िचतचोर, पूछ रही ह ैगोिपयाँ करती ह ैहडदगं, गवाल-बाल की टोिलयाँ महावीर किवराय, कृषण जहाँ समािहत ह ैदहे अलौिकक गंध, सभी जन उतसािहत ह ै

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गोरी इतराकर कहे

गोरी इतराकर कहे, पीतम मेरा चाँद अजर-अमर आभा रह,े कभी पडे ना माँद कभी पडे ना माँद, नजर न लगाओ कोई पीतम ह ैमासूम, करीब न आओ कोई

महावीर किवराय, न कोई कर ले चोरी तुझे िछपा लूँ चाँद, कह ेइतराकर गोरी

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कयो पगले डरता यहाँ

कयो पगले डरता यहाँ, काल सभी को खाय यह तो गीता सार ह,ै जो आए सो जाय जो आए सो जाय, बात ह ैिबलकुल सची कह ेसभी िवदान, साँस की डोरी कची

महावीर किवराय, समय से पहले मरता मौत ह ैकटू सतय, बता कयो पगले डरता

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पंछी बेशक कैद है

पंछी बेशक कैद ह,ै पाँव पडी जंजीर लेिकन मन को बांधकर, कब रखा महावीर कब रखा महावीर, नाप लेता जग पल मे जब भी हआ उदास, घूमता बीते कल मे

कह ेकिव खरे बोल, हदय करता ह ैधक-धक िदल तो ह ैआजाद, कैद हो पंछी बेशक

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गीता मे शी कृषण ने

गीता मे शी कृषण ने, बात कही गंभीर औरो से दिुनया लडे, लडे सवयं से वीर

लडे सवयं से वीर, जीत पाया जो मन से वह नर सचा वीर, मुक हो हर बंधन से महावीर किवराय, उपदशे यह गीता मे

अवगुण कर सब दरू, िनदशे यह गीता मे

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वन मे हिरयाली बहत

वन मे हिरयाली बहत, मारे बाघ दहाड गोद िहमालय की बसे, चारो तरफ पहाड

चारो तरफ पहाड, शुद ह ैआबो-दाना ऊँची भरे उडान, हदय पंछी दीवाना

महावीर किवराय, घुले रस जन-जीवन मे शहरो मे ह ैशोर, असीम शांित ह ैवन मे

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कयो मेरी लाडो बडी

कयो मेरी लाडो बडी, िचितत बूढा बाप कैसे जुटे दहजे अब, सुता जनम अिभशाप सुता जनम अिभशाप, पराया धन ह ैबेटी

जाएगी परदशे, खाट पे िचता लेटी महावीर किवराय, गोद मे खेली तेरी

कोई िमले सुपात, बडी लाडो कयो मेरी

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ह ैकिवयो मे किव अमर

ह ैकिवयो मे किव अमर, सवामी तुलसीदास "राम चिरत मानस" रचा, राम भक ने खास

राम भक ने खास, आज भी सबको भाता िरशतो का यह पाठ, आज भी हमे पढाता

महावीर किवराय, बडा सच यह सिदयो मे सवामी तुलसीदास, शेष ह ैसब किवयो मे

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सवामी तुलसीदास है

सवामी तुलसीदास है, सब संतो के संत राम भिक ह ैवह िकरण, जाको कोय न अंत जाको कोय न अंत, अमर ऋिषयो की वाणी

भरा पडा ह ैजान, िनतय ही पढते पाणी महावीर किवराय, अनेको जग मे नामी रामजी का पताप, अजर-अमर ह ैसवामी

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दौलत दःुख का मूल है

दौलत दःुख का मूल है, समझ गए जो लोग उनके मन संतोष धन, रहते वही िनरोग रहते वही िनरोग, मोहमाया को छोडो

पयारा पभु का नाम, राम से नाता जोडो महावीर किवराय, िवकलप खोिजए सुख का याद रखो यह बात, मूल ह ैदौलत दःुख का

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फूलो की मकरंद पे

फूलो की मकरंद पे, रीझत ह ैअिल पुञराधा-हिर के रास पर, झूमत सारा कुञझूमत सारा कुञ, गोिपयाँ शोर मचाएँ ओ राधा के शयाम, हमे कयो नाच नचाएँमहावीर किवराय, बयार चली झूलो की

भौरे हए िवभोर, हई वषार फूलो की

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बंसी बाजे कृषण की

बंसी बाजे कृषण की, भूल गई सब काज राधे शरमा कर कह,े आवत मोह ेलाज

आवत मोह ेलाज, िमलन की चाह जगी ह ैरके न रकते पाँव, बडी यह किठन घडी ह ैमहावीर किवराय,होठ पे सुर जब साजे रोके खुद को कौन, कृषण की बंसी बाजे

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कौरव माने कब िनयम

कौरव माने कब िनयम, पहन िवजय का ताज भीमसेन तू मार द,े दयुोधन को आज

दयुोधन को आज, कसम कयो अपनी भूले रचा महासंगाम, वीर की छाती फूले

महावीर किवराय, रार जब मन मे ठानेछल-बल से ही मार, िनयम कब कौरव माने

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करवट बदले िदन गया

करवट बदले िदन गया, करवट बदले रात एक-एक िदन िगन रहा, काल लगाये घात

काल लगाये घात, मृतयु से कोई जीता आया ह ैसो जाय, कह ेिगरधर की गीता महावीर किवराय, करो पाप न ऐ पगले

काल का कुछ न ठीक, कहाँ यह करवट बदले

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जब-जब दघुरटना घटे

जब-जब दघुरटना घटे, कित तन की तब होय मगर िहया की चोट को, समझ न पाये कोय

समझ न पाये कोय, संसार तन को दखेे अंतमरन से मात, िदलदार मन को दखेे

महावीर किवराय, पयार बढता ह ैतब-तब पेमीजनो के बीच, घटे दघुरटना जब-जब

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किवता ने की खुदकुशी

किवता ने की खुदकुशी, गीत बना वापार िफलमो के इस दौर मे, शबद हआ लाचार

शबद हआ लाचार, मात ववसाियक इंकम िबकता हाथो-हाथ, अथारत गुणवता कममहावीर किवराय, नुकस ढंूढे सिवता ने छोड पुराने गीत, खुदकुशी की किवता ने

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शरमा जाए कयो हवा

शरमा जाए कयो हवा, छू गोरी के अंग गोरी झूले झूलना, आज िपया के संग आज िपया के संग, हवा से करती बातेसंग रह ेजो आप, कटेगी िहलिमल राते महावीर किवराय, िपया भी इतरा जाए गोरी की लजा दखे, हवा भी शरमा जाये

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डाली िजतनी हो घनी

डाली िजतनी हो घनी, उतनी ही झुक जाय छाँव घनेरी दखेकर, थका पिथक रक जाय थका पिथक रक जाय, बडी पहचंाए राहत घर मे आये अिथित, मेजबान करे सवागत महावीर किवराय, बनो वृको के माली सबको द ेआननद, घनी हो िजतनी डाली

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नेकी तुम करते चलो

नेकी तुम करते चलो, जब तक घट मे जान अचछे कमो से बने, अमर-अिमट पहचानअमर-अिमट पहचान, सतकमर नेह लुटाते

अंत मे बुरे कमर, कष अपार पहचंातेमहावीर किवराय, करो न कभी अनदखेी संग सभी के आज, चलो करते तुम नेकी

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दर-दर भटका यार मै

दर-दर भटका यार मै, पाया नही सकून महावीर पानी िकया, तृषणाओ ने खून तृषणाओ ने खून, मरीिचका भटकाए

तपता रेिगसतान, पयास हरदम तडपाए महावीर किवराय, दास इचछा का अटका रहा सदा बेचैन, इसिलए दर-दर भटका

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यूँ तो की ह ैशा'इरी

यूँ तो की ह ैशा'इरी, हआ न इक दीवान काम काव का िमतवर, खेल नही आसान खेल नही आसान, गजल कहना ह ैमुिशकल जयो दिरया के संग, उलट बहना ह ैमुिशकल महावीर किवराय, अजब अटखेली-सी ह ैबडा किठन ह ैिसनफ, शा'इरी यूँ तो की है

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ममता मायाजाल है

ममता मायाजाल ह,ै हर बंधन तू तोड मोह रप अजान का, सुख-दःुख सारे छोड सुख-दःुख सारे छोड, हदय को कर बैरागी

इचछाओ का मार, वासना इससे जागी महावीर किवराय, जान तुझमे कया कमता सुख-दःुख सारे छोड, मोहमाया ह ैममता

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लालच का मुख दिेखये

लालच का मुख दिेखये, हर पल नीचा होय फलदायी हो वृक कयो, कांटे जब थे बोय कांटे जब थे बोय, एक भी हआ न चंगा मुिक नही आसान, नहाओ चाह ेगंगा

महावीर किवराय, थािमये दामन सच का झूठ के नही पांव, बुरा ह ैफल लालच का

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मंिदर-मिसजद तयागकर

मंिदर-मिसजद तयागकर, धमर बनाओ पयार रह जाये सब कुछ यहाँ, झगडा ह ैबेकार

झगडा ह ैबेकार, रंग लह का ह ैएक जरा अकल से सोच, रिचयता कैसे अनेक

महावीर किवराय, छोड दो यारो हर िजद बात रखो यह याद, एक ह ैमंिदर-मिसजद

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ऊपर वाला एक है

ऊपर वाला एक ह,ै पूजा रप अनेक मानवता सबसे बडी, इसे न पूजे एक इसे न पूजे एक, हाय कैसी लाचारी

दगंा, हतया, खून, कौम की िजममेदारी महावीर किवराय, सभी को िमले िनवाला

बैर आपसी भूल, एक ह ैऊपर वाला

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घीसू माधव के यहाँ

घीसू माधव के यहाँ, आलू का आकाल कफन बेचकर खा गए, ढंूढ रह ेकंकाल ढंूढ रह ेकंकाल, भूख से दोनो बेदम

हो कहाँ महाभोज, सोच रह ेयही हरदम महावीर किवराय, दयाकर मेरे राघव शम से उपजे कष, सोचते घीसू माधव

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पापी पंछी उड गया

पापी पंछी उड गया, दहे जले िदन-रात पेड खडा शमशान मे, कह ेअनोखी बात कह ेअनोखी बात, रह भी िदकक पाये भटके सालो-साल, एक पल चैन न आये

महावीर किवराय, बजी जब अंितम बंसी दहे जली शमशान, उड गया पापी पंछी

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िजनको भी अपना कहा

िजनको भी अपना कहा, वही द ेगए घात कदम-कदम संसार मे, खाई हमने मात खाई हमने मात, भरोसा कभी न करना औरत हो या मदर, एक सा पदार रखना

महावीर किवराय, गैर न समिझए उनको कर उनका सममान, कहो अपना तुम िजनको

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दिुनया मे आदशर है

दिुनया मे आदशर ह,ै अपना िहनदसुतान अनेकता मे एकता, यह अपनी पहचान यह अपनी पहचान, अनेक धमर-भाषाएँ जीिवत यहाँ जनाब, पुरातन परमपराएँ

महावीर किवराय, मात छिव ह ैनिदया मे भात-सखा ह ैिवश, सनदशे यह दिुनया मे

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मािलक सबका एक है

मािलक सबका एक ह,ै सब बंधे इक चैन िहनद-ूमुिसलम भी यहाँ, िसख, बौद और जैन िसख, बौद और जैन, हदय ह ैभारतवासी इक-दजूे से पयार, पेम के सब अिभलाषी महावीर किवराय, पेम ह ैहर मजहब का पावन यह सनदशे, एक ह ैमािलक सबका

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दीवाने-गािलब पढो

दीवाने-गािलब पढो, महावीर यूँ आप उदूर, अरबी, फारसी, िहदी करे िमलाप

िहदी करे िमलाप, सभी का िमलन सुहाना िमजार के हो शेर, बने यह जग दीवाना

ह ैकिव के यह बोल, िचराग तले परवाने आँखे बनी जुबान, पढे सब कुछ दीवाने

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दो पल ही िखलना यहाँ

दो पल ही िखलना यहाँ, िफर सब माटी-धूल महावीर यह िजदगी, ह ैगुलाब का फूल ह ैगुलाब का फूल, िखले तो सुनदर लागे भौरे दतेे जान, अरमान िदल मे जागे

सचे किव के बोल, अंत, माटी मे िमलना इंसां हो या फूल, यहाँ दो पल ही िखलना

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अचछे कल की चाह मे

अचछे कल की चाह मे, फँूक िदया कयो आज जीवन तो ह ैआज मे, कल मे यम का राज

कल मे यम का राज, सोच मत पगले जयादा काज सफल हो आज, अटल हो अगर इरादा

महावीर किवराय, िजनदगी ह ैदो पल की ह ैसुख से भरपूर, कामना अचछे कल की

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मािलक मकान कौन है

मािलक मकान कौन ह,ै दहे िकराएदार समय अभी ह ैजान ले, मािलक वो सरकार मािलक वो सरकार, साँस ह ैआनी-जानी

िकस पर तुझको नाज, सभी कुछ तो ह ैफानी महावीर किवराय, एक ह ैतेरा खािलक

साथ न जाए दहे, कौन ह ैमकान मािलक

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माँ का सर पर हाथ यिद

माँ का सर पर हाथ यिद, हो मुिशकल आसान जान दो मुझे शारदे, हो जाऊँ िवदान हो जाऊँ िवदान, करँ िहदी की सेवा पसाद सम ह ैजान, रोज मै खाऊं मेवा

महावीर किवराय, िहया मे िजसने झाँका उसको आशीवारद, सदवै िमला ह ैमाँ का

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कोई तो समझाइये

कोई तो समझाइये, तिनक हमे भी िमत नई कला के नाम पर, आडे-टेडे िचत आडे-टेडे िचत, पहलेी-सी बन जाते

समझो इनको लाख, िकसी की समझ न आते महावीर किवराय, भष िजसकी मित होई

पागलखाने जाय, कला समझे जो कोई

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सचाई वा धमर को

सचाई वा धमर को, कोई सका न काट चाह ेगोली मारकर, लोग उतारे घाट लोग उतारे घाट, शहीद हए थे बापू

सुकरात िपए जहर, सतय को मारा चाकू महावीर किवराय, बना ह ैवक कसाई िनमरमता के साथ, िछपे कुछ पल सचाई

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तोडी कची आिमयाँ

तोडी कची आिमयाँ, चटनी लई बनाय चटकारे ले तोहरा, पेमी-पीतम खाय

पेमी-पीतम खाय, सखी सुन-सुन मुसकाती और कह ँकया तोय, लाज से मै मर जाती महावीर किवराय, राम बनाय हर जोडी कयो इतनी सवािदष, आिमयाँ तूने तोडी

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जनता की यह मांग है

जनता की यह मांग है, जनिहत मे हो नीित तयागो भषाचार अब, करो राष से पीित

करो राष से पीित, राष का ही िहत करना िजये राष के हतेु, राष के ही िहत मरना

महावीर किवराय, दशे िवकिसत तब बनता अपने सब अिधकार, कमर पहचाने जनता

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हािन-लाभ, जीवन-मरण

हािन-लाभ, जीवन-मरण, मान और अपमान सब िवधाता ने रचा, बेबस ह ैइंसान बेबस ह ैइंसान, न कमर लेख िमट पाये

कीजै लाख उपाय, न राह समझ कुछ आये महावीर किवराय, लूट ले कोई उपवन

समझो तुम यह बात, मात हािन-लाभ जीवन

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नौकर-चाकर छोडकर

नौकर-चाकर छोडकर, चले दारकानाथदाता के दरबार मे, पहचें खाली हाथ

पहचें खाली हाथ, बने अब नौकर मािलक कुछ िदन करके ऐश, चले वो भी दर खािलक महावीर किवराय, िमले कया कुछ भी पाकर इक िदन जाना तोय, छोडके नौकर-चाकर

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सुख-दःुख लगा हआ यहाँ

सुख-दःुख लगा हआ यहाँ, हर मानव के साथ दोनो मन के मीत है, छोडे कभी न हाथ छोडे कभी न हाथ, िमले वो बारी-बारीजानी जो इंसान, िनभाता इनसे यारी

महावीर किवराय, पणाम कीिजये झुक-झुक दोनो भाव िवशेष, साथ ह ैतेरे सुख-दःुख

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दःुख मे आँसू संग है

दःुख मे आँसू संग ह,ै तो सुख मे मुसकान ढलकर सुख-दःुख मे बने, मानव की पहचान

मानव की पहचान, समपदा बडी अनूठी अनुभव की यह खान, नगो पर जडी अंगूठी

महावीर किवराय, फले-फूले नर सुख मे कभी न छोडे साथ, संग ह ैआँसू दःुख मे

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सागर भी छोटा लगे

सागर भी छोटा लगे, इतने भीगे नैन गोरी तेरी याद मे, रोया ह ँिदन-रैन

रोया ह ँिदन-रैन, िनकट कोई तो रहता गले लगा कर हाय, मुझे जो अपना कहता महावीर किवराय, आज रोये अमबर भी ये जग जाये डूब, लगे छोटा सागर भी

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बीता ह ैजो एक पल

बीता ह ैजो एक पल, कभी न आये हाथ सबसे अचछा विक वह, चले वक के साथ चले वक के साथ, जीत िनिशत ही जानो समय बडा बलवान, बात हरदम यह मानो

महावीर किवराय, वथर मे काह ेजीता भुला उसे ततकाल, बुरा पल जो ह ैबीता

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कठपुतली का खेल है

कठपुतली का खेल ह,ै जग मे चारो ओर धनवानो के हाथ मे, दीन-दखुी की डोर दीन-दखुी की डोर, सभी ने िनधरन लूटे कौन करे परवाह, सवप िकसके ह ैटूटे

महावीर किवराय, िमले अब आम न गुठली कैसा यह संसार, दीन बनते कठपुतली

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लकडी जीवन मृतयु तक

लकडी जीवन मृतयु तक, रहती सबके साथ बचपन मे था पालना, अंत िचता के हाथ अंत िचता के हाथ, समझ पगले सचाई

बनते भवन-दकुान, काम लकडी ही आई महावीर किवराय, टाँग जब-जब भी अकडीलाठी बनकर साथ, िनभाती आई लकडी

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बोलो मत वाणी गलत

बोलो मत वाणी गलत, कटुक वचन ह ैतीर घाव भरे तलवार का, चाह ेहो गमभीर चाह ेहो गमभीर, ठीक हो जाए यारो

मगर बात का घाव, नही भर पाता पयारोमहावीर किवराय, हदय मे पहले तोलो तुमह ेलगे जो ठीक, वही बाते तुम बोलो

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साहस, ताकत, वीरता

साहस, ताकत, वीरता, सैना के ह ैअंग अदमय पौरष दखेकर, दशुमन भी ह ैदगं दशुमन भी ह ैदगं, सामने काल अडा ह ै

जखमी हआ शरीर, रणवीर मगर खडा है महावीर किवराय, नाम ह ैिजसका भारत वीर एक से एक, परख ले, साहस, ताकत

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उतरायण मे सूयर है

उतरायण मे सूयर ह,ै तीथर बना ह ैदशे माँ गंगा की गोद मे, करते सान िवशेष

करते सान िवशेष, लोहडी, ओणम, पोगल चाह ेनाम अनेक, चार सू छाये मंगल

मकर रािश मे सूयर, िमला जैसे नारायण शत-शत करो पणाम, भगवान ह ैउतरायण

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सन पचास लागू हआ

सन पचास लागू हआ, अपना शासन तनतपवर छबबीस जनवरी, कहलाया गणतनत

कहलाया गणतनत, िवधान बना भारत का ह ैअिधकार समान, आदमी वा औरत का महावीर किवराय, खूब उतसािहत जन-जनहआ ह ैफलीभूत, पचास बडा ही शुभ सन

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मन पसनिचत हो गया

मन पसनिचत हो गया, दखे हरा उधान फूल िखले ह ैचार सू, बढा रह ेह ैशान बढा रह ेह ैशान, पवन फैलाये खुशबू भौरे आये पास, बाग मे छाया जाद ू

महावीर किवराय, गजब लागे ह ैमधुबन हिरयाली का साथ, मुसकुराये ह ैतन-मन

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सूखा-बाढ, अकाल है

सूखा-बाढ, अकाल ह,ै कुदरत का आकोश िकया पदषूण अतयिधक, मानव का ह ैदोष

मानव का ह ैदोष, धरा पे संकट छाया शाप बना िवजान, िवकास कहाँ हो पाया महावीर किवराय, लाचार पयासा-भूखा झेल रह ेहम मार, कभी बाढ, कभी सूखा

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माँ पर अब संकट नही

माँ पर अब संकट नही, कहता बुदधू राम िजदा थी बीमार थी, मरकर ह ैआराम मरकर ह ैआराम, नही कुछ रोग सताए माँ ह ैअब तसवीर, रात-िदन बस मुसकाए महावीर किवराय, बडा सकून ह ैमरकर मसत ह ैबुदधूराम, नही संकट अब माँ पर

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अित सुनदर गोरी लगे

अित सुनदर गोरी लगे, जयो-जयो उडते केश मधुर िमलन की चाह मे, उपजे नेह िवशेष

उपजे नेह िवशेष, िपया से होगी बाते पलक झपकते दखे, बीत जाएँगी राते महावीर किवराय, पयार ह ैएक समंदर

िजतना इसमे डूब, लगे उतना अित सुनदर

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भारत की टकसाल कयो

भारत की टकसाल कयो, पहचंी िसवटजरलैड जनतंत का बजा रह,े नेता, अफसर बैड

नेता, अफसर बैड, भष ह ैिससटम सारा खादीधारी चोर, करे सब वारा-नयारा

महावीर किवराय, भूख िमटे न दौलत की पहचंी िसवटजरलैड, टकसाल यूँ भारत की

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पदषूण महारोग है

पदषूण महारोग है, कर इसका उपचार पयारवरण मधुर बने, ऐसा सोच-िवचार

ऐसा सोच-िवचार, धरा को नव रप िमले िनमरल सवचछ सवरप, अित सुगिनधत पवन चले

महावीर किवराय, सवचछता इक आभूषण करो तुरनत िनदान, समसया िवकट पदषूण

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चनदा को सूरज कहे

चनदा को सूरज कह,े कह ेिदवस को रात रोज िदखाता मीिडया, उलटी-सीधी बात उलटी-सीधी बात, करे सब उललू सीधा

गलोबल यह बाजार, हआ कब बाप िकसी का महावीर किवराय, कह ेबनदी को बनदा सब रपयो के दास, कह ेसूरज को चनदा

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काँधे पर बेताल सा

काँधे पर बेताल सा, बोझ उठाए रोज पशोतर से जूझते, नए अथर तू खोज

नए अथर तू खोज, और गढ पिरभाषाएँ पशोतर के दनद, मृतपाण अिभलाषाएँ

महावीर किवराय, मचा हलला-सा भीतर कोलाहल ह ैरोज, बेताल-सा काँधे पर

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टी वी इनटरनेट है

टी वी इनटरनेट है, बचो का संसार बचपन को उकसा रहा, गलोबल यह बाजार गलोबल यह बाजार, समीकरण सभी िबगडे

खेल-कूद से दरू, नेट को िदनभर रगडे महावीर किवराय, रीचाजर डेटा जी बीकरते डाउनलोड, दखे रह ेनेट-टी वी

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िवपदा मे छोड ेनही

िवपदा मे छोडे नही, तुझे बीच मझधार सची ह ैयह िमतता, लग जायेगा पार लग जायेगा पार, साथ कभी न छोडे हाथो मे पतवार, तूफान का रख मोडे

महावीर किवराय, न भूलो सुख-सुिवधा मे सचा ह ैवह िमत, साथ द ेजो िवपदा मे

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नेता की ह ैहरकते

नेता की ह ैहरकते, लोकतंत बदनाम कुसी तक नीलाम है, िनषाओ के दाम िनषाओ के दाम, िगरे हरेक दलदल मे चािहए खरीदार, िबके साँसद संसद मे

महावीर किवराय, अदा कया अिभनेता की जनता ह ैहरैान, दखे हरकत नेता की

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दोह ेपद ऐसे रचे

दोह ेपद ऐसे रचे, बढी िहनद की शान खरे बोल लागे भले, कबीर ह ैरसखान

कबीर ह ैरसखान, शबद, बीजक या साखी दतेे परमाननद, कबीर बडे रस पाखी

महावीर किवराय, िहया हो सुनकर गदगद दिुनयाभर मे नाम, रचे ऐसे दोह-ेपद

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जहर-बुझी-सी िजदगी

जहर-बुझी-सी िजदगी, अित-तीखा यह सवाद कोढी से जजबात ह,ै बहता रोज मवाद बहता रोज मवाद, ठीक ना होते फोडे

जीवन इक संगाम, लगाए पितिदन कोडे महावीर किवराय, कषपूणर हर घडी-सी

कडवा-तीखा सवाद, िजदगी जहर-बुझी-सी

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पॉपटी डीलर बने

पॉपटी डीलर बने, लाचार ह ैिकसान खेती मे बरकत नही, िबकते खूब मकान िबकते खूब मकान, दखे लो दिुनया सारी खेती-बाडी तयाग, बने ह ैसब वापारी

महावीर किवराय, अजब ह ैिपकचर डटी मायूस ह ैिकसान, बने डीलर पॉपटी

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हरदम िगरिगट की तरह

हरदम िगरिगट की तरह, दिुनया बदले रंग महावीर तू भी बदल, अब जीने का ढंग अब जीने का ढंग, कह ेपागल सीधे को मुखर बनाये िमत, कह ेकाला पीले को महावीर किवराय, सतयवादी ह ैबेदम झूठे की जयकार, रह ेदिुनया मे हरदम

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रांझे के मन मे सदा

रांझे के मन मे सदा, मुसकाती थी हीर सोनी ने मिहवाल के, िदल पे मारा तीर िदल पे मारा तीर, घाव दोनो के लागा िमले नैन से नैन, पेम यह कैसा जागा

महावीर किवराय, पतंगा िबन मांझे के पेम डोर पे हीर, संग दौडी रांझे के

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इस गलोबल बाजार मे

इस गलोबल बाजार मे, दशे बना परदशे नीलामी की दौड मे, शािमल ह ैहर दशे शािमल ह ैहर दशे, हआ ह ैजीना दभूर महगंाई का नाग, खडा ह ैसबके िसरपर

महावीर किवराय, कीण हो रहा बाहबल संकट खड ेअनेक, िविचत बाजार गलोबल

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मसतानी के रप पर

मसतानी के रप पर, मोिहत बाजीराव पंच पधान महान था, द ेमूछो को ताव द ेमूछो को ताव, एक भी युद न हारा मसतानी को दखे, सवरसव उस पर वारा महावीर किवराय, जवानी ह ैदीवानी अमर पेम का रप, बाजीराव-मसतानी

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ताजमहल अनमोल है

ताजमहल अनमोल ह,ै पेम की एक िमसाल िजदा कर मुमताज को, कर िदया बेिमसाल कर िदया बेिमसाल, पयार का फजर िनभाया

धनय ह ैमहराज, पेम का कजर चुकाया महावीर किवराय, खूबसूरत एक गजल

कण-कण मे संगीत, कयो लगे ह ैताजमहल

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अकबर के िदल मे सदा

अकबर के िदल मे सदा, जोधा का दीदार िहनद-ूमुिसलम एकता, दोनो का यह पयार

दोनो का यह पयार, दधू मे जैसे शकर कोिशश करो हजार, अलग ना होवे छनकर महावीर किवराय,करो चचार महिफल मे

जोधा का था पयार, सदा अकबर के िदल मे

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िहनदी-िहनदी कर रहे

िहनदी-िहनदी कर रह,े सारे नौकरशाह अंगेजी के यज मे, िहनदी होती सवाह

िहनदी होती सवाह, िमली आजादी कैसी िनज भाषा िबन जान, हो रही ऐसी-तैसी महावीर किवराय, मराठी हो या िसनधी िमलकर सारा दशे, कह ेइक सुर मे िहनदी

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जो िमल पाया भागय है

जो िमल पाया भागय है, खोना ह ैदभुारगयहािन-लाभ के योग से, बनता सबका भागयबनता सबका भागय, खुशी से दःुख अपनाओसुख-दःुख जीवन रप, गमो मे भी मुसकाओमहावीर किवराय, बात समझे कुछ भाया

खोना यिद दभुारगय, भागय वह जो िमल पाया

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दिुनया मे इंसान को

दिुनया मे इंसान को, कभी पडा ना चैन असत-वसत से ही रह,े जीवन के िदन-रैन जीवन के िदन-रैन, सुकून कहाँ िमल पाया माया बडी अजीब, सभी को नाच-नचाया महावीर किवराय, डूब जाएँ निदया मे तभी पडगेा चैन, पहचँ दजूी दिुनया मे

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उतरांचली सािहतय संसथान (उदेशय व लकय)

उतरांचली सािहतय संसथान की सथापना महावीर उतरांचली (वासतिवक नाम: महावीर िसह

रावत) दारा 2007 ईसवी० मे की गई थी। िजसके तहत राषभाषा से जुडे मुदे, िवकास और लकयकी पािप मुखय उदेशय था। यह सािहितयक और सामािजक आयोजन बन गया। "तीन पीिढयाँ :तीन कथाकार" पहली महतवपूणर पुसतक थी। िजसे सुरंजन जी ने समपािदत िकया। िजसका पकाशन'उतरांचली सािहतय संसथान' के आिथक सहयोग बारह हजार (12,000) से "मगध पकाशन" दारासमभव हो सका। इसकी सफलता के उपरांत अब तक दजरन भर छोटी-बडी िकताबे िबना िकसीआिथक लाभ के आई। सािहितयक पत-पितकाओ को समय-समय पर अनुदान लगभग पचास हजार(50,000) रपये िदए जा चुके ह।ै पुसतके-पितकाएँ खरीदकर नए सािहतयकारो का उतसाहवधरनकरना। सािहितयक आयोजनो के अलावा सामािजक कायो के अनतगरत उतरांचली संसथान ने वषर2008 ईसवी० मे सूदखोर लीले गुजर (िनवासी पताप िवहार, खोडा कॉलोनी) के चंुगल से शीमतीउषा दवेी (धमरपती शी मनोज कुमार) नाम की मिहला को शीमती सािवती दवेी (कोषाधयकउतरांचली सािहतय संसथान) ने पनदह हजार (15,000) रपये दकेर आजाद करवाया। आज उषासवतनतता पूवरक जीवन वतीत कर रही ह।ै तमाम घाटे के बावजूद उतरांचली सािहतय संसथानिपछले एक दशक से िनसवाथर भाव से चल रहा ह।ै यिद "पितिनिध लघुकथाएँ" और "पितिनिधगजले" शंृखला सफल रहती ह ैतो सथािपत रचनाकारो के साथ-साथ नवोिदत सािहतयकारो की

पुसतको को िनःशुलक पकािशत िकया जायेगा।

महावीर उतरांचली (संसथापक व िनदशेक)उतरांचली सािहतय संसथान (सािहितयक व सामािजक लकय)

मुखय कायारलय : ए-44, पताप िवहार,

खोडा कॉलोनी, गािजयाबाद (उ० प०)

उतरांचली सािहतय संसथान अपने सािहितयक और सामािजक कायो को िनिवघ व सवेचछापूवरक चला सके। इसकेिलए अनुदान के इचछुक विक ऑनलाइन अथवा चेक दारा दान कर सकते ह ै:—

MAHAVIR SINGH RAWAT / SAVITRI DEVI

A/C NO. 21350100007417

IFSC: BARB0TRDCHW [Fifth character is ZERO]

Bank Branch: Bank of Baroda, Mayur Vihar, Phase 3, New Delhi 110096

चैक इस पते पर भेज सकते ह ै—

उतरांचली सािहतय संसथान का शाखा कायारलय:

MAHAVIR SINGH RAWAT / SAVITRI DEVI —

बी-4 / 79, पयरटन िवहार, वसंुधरा एनकलेव, िदलली 110096

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