FINAL hindi2013 12.9 · हँसना मना है 12 ... क्या उनके मन...

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िवकास पथ िवकास पथ मुंबई रेलवे िवकास कॉपȾरेशन ि. की राजभाषा पिऽका िसतबर-2013

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  • िवकास पथ  

     

    िवकास पथ मुबंई रेलवे िवकास कॉपोर्रेशन िल. की राजभाषा पिऽका 

     िसतम्बर-2013  

     

     

     

  • िवकास पथ  

     

    लआय  

    मुंबई उपनगरीय खंड में यािऽयों के उपयोग के िलए आरामदायक एवं

    सुिवधाजनक याऽा उपलब्ध कराने हेत ु कुशल, सुरिक्षत एवं िनरंतर चलने

    वाली रेल ूणाली के िलए िवश ् वःतरीय इन्ृाःशक्चर िवकिसत करना ।

      

    उदे्दँय 

    • मुबंई के िलए शहरी िवकास योजना सिहत उपनगरीय रेल क्षमता विृद्ध योजना एकीकृत करना तथा िनवेश ूःतािवत करना ।

    • मुबंई उपनगर खडं में रेल इन्ृाःशक्चर पिरयोजनाओं का

    िबयान्वयन । • उपनगरीय रेल िवकास के िलए िनिध के सजृन के िलए मुबंई के्षऽ

    में रेलवे भूिम तथा एयरःपेस का वािणिज्यक उपयोग । • पिरयोजना ूभािवत लोगों का पनु:ःथापन एवं पनुवर्सन ।

  • िवकास पथ  

     

     

    सरंक्षक मडंल  

    ौी राकेश सक्सेना अध्यक्ष एवं ूबंध िनदेशक  

    ौी आर.एस. खुराना िनदेशक (पिरयोजना)  

    ौी नरेश चंि िनदेशक (तकनीकी)  

    ौी एन.एम. िमौा िनदेशक (िवत्त)            

    सपंादक मडंल  

    सुौी अलका िमौा मुख्य कािमर्क अिधकारी एवंमुख्य राजभाषा अिधकारी  

    ौीमती कीितर् िव. परांजपे राजभाषा अिधकारी 

    ब. सं.  िवषय सचूी 

    पषृ्ठ सं. 

    1. संपादकीय एव ंमुरािध का संदेश

    2.

    अध्यक्ष एव ंूबधं िनदेशक का संदेश

    3

    3. व्यःत भी रहें व्यविःथत भी रहें  

    4

    4.

    कॉपोर्रेशन की उपलिब्धयां और गितिविधयां  

    6

    5. िजयो हजारों साल  

    8

    6. हमारी रचनाए ं 

    9

    7. नन्ही कलम से 

    9

    8. हँसना मना है

    12

    9. महापरुूषों के िवचार  

    12

    10.

    राजभाषा नीित व िनयमों का अनुपालन   

    13

    सपंादकीय

  • िवकास पथ  

     

    राजभाषा सप्ताह के अवसर पर `िवकास पथ’ राजभाषा पिऽका आपको सौंपते हुए मुझे हािदर्क ूसन्नता हो रही है । राजभाषा से जुडे कायोर्ं में आपके सहयोग के कारण हमें िपछले वषर् अच्छे कायर् िनंपादन के िलए नगर राजभाषा सिमित, मंुबई उपबम का पुरःकार भी ूाप्त हुआ है, आप सबको बधाई । संचार और सुसवंाद की दृिष्ट से गहृ पिऽका एक उत्तम माध्यम है, कॉपोर्रेशन के िबया-कलापों से संबंिधत अिधक से अिधक जानकारी, ःवरिचत रचनाएं, इसमें शािमल कर इसे भिवंय में अिधक रोचक और पठनीय बनाएं ।

    पिऽका के बारे में आपके बहुमूल्य सुझावों का ःवागत है ।

    (कीितर् परांजपे) राजभाषा अिधकारी

    मुंबई रेलवे िवकास कॉपोर्रेशन िल.

    मखु्य राजभाषा अिधकारी का सदेंश मुख्य राजभाषा अिधकारी के पद का कायर्भार संभालने के साथ, मैं भी राजभाषा की कड़ी से जुड़ गई हँू, मुझे ूसन्नता है िक `िवकास पथ’ पिऽका के माध्यम से आपके साथ संपकर् करने का मौका मुझे िमला । मैं समझती हँू िक राजभाषा नीितयों का अनुपालन करना हम सभी का संवैधािनक दाियत्व है । सूचना ूौद्योिगकी के इस दौर में राजभाषा को इसके साथ जोड़ने के िलए हमें िनरंतर कोिशश करने की िनतांत आवँयकता है, आशा करती हँू िक आप सभी िमलजुल कर इन ूयासों को साथर्क बनाएंगे ।

    (अलका िमौा) मुख्य राजभाषा अिधकारी

    एवं मुख्य कािमर्क अिधकारी

    मंुबई रेलवे िवकास कॉपोर्रेशन िल.

  • िवकास पथ  

     

     

     

    संदेश  

     

    सािथयों,  

    िहंदी िदवस, िहंदी सप्ताह के अवसर पर आप सभी को मेरी शुभकामनाएं । 14 िसतंबर 1949 को भारतीय संिवधान सभा ने देवनागरी िलिप में िलखी गई िहंदी भाषा को

    राजभाषा के तौर पर घोिषत िकया था इस ऎितहािसक िदवस के उपलक्ष में ूितवषर् हम इसे िहंदी िदवस के रूप में मनाते हैं । िहंदी देश के सबसे अिधक व्यापक के्षऽ में और सबसे अिधक लोगों द्वारा समझी जाने वाली भाषा है, यह हमारी पहचान है, परंतु यह भी सत्य है िक आजादी के बाद से िनरंतर ूयासों के बावजूद इसे पूणर् रूप से राजभाषा का सम्मान नही िमल पाया है, कारण कुछ भी हों परंतु एक सरकारी सेवक होने के नाते हमारा कतर्व्य है िक सरकारी िनयमों की भांित हम सरकार द्वारा िहंदी भाषा को उिचत ःथान देने के िलए िकए जा रहे ूयासों से संबंिधत नीित िनदेर्शों का यथा संभव पालन करें ।

    ूसार की दृिष्ट से यह आवँयक है िक इसका ूयोग िदखाई देना चािहए, अत: िदखावट और ौषे्ठता के ूदशर्न के िलए अंमेजी जैसी भाषा के ूयोग के ःथान पर िहंदी का ूयोग िकया जाए । जिटल और तकनीकी ःवरूप के कायोर्ं में रुकावट पैदा न करे परंतु सामान्य ःवरूप के कायर् जैसे रिजःटर, डायिरयों, फाईलों के िवषय, िलफाफों पर पते, रिजःटर, डायिरयों में की जाने वाली ूिविष्टयां, नाम पट्ट, सूचना पट्ट, छुट्टी के आवेदन, दौरा कायर्बम, मानक फामर्, बैठकों में की जाने वाली चचार्, कंप्यूटर के माध्यम से िकए जाने वाले एक जैसे रोजमरार् कायर्, ई-मेल आिद ऐसे माध्यम हैं जहां भाषा िदखाई देती है और िहंदी के ूयोग में भी कोई किठनाई नही होती वहां हम िहंदी का ूयोग अिनवायर् रूप से करें तो भी बहुत कुछ हािसल िकया जा सकता है ।

    इसके बाद जो कमीर् िहंदी में ूवीण हैं, उन्हे अपना अिधक से अिधक कायर् िहंदी में करने के िलए ूोत्सािहत िकया जाए । जो कमर्चारी कामचलाऊ िहंदी जानते हैं ःथाई ःवरूप के कायर् आवँयक रूप से िहंदी में ही करें । हमारे यहां कंप्यूटर और उसके साथ िहंदी में कायर् करने की पूरी व्यवःथा है, इसका पूरा लाभ उठाया जाए । इतनाभर करने से राजभाषा के ूयोग-ूसार में विृद्ध होगी और कम से कम राजभाषा का अिःतत्व ढंूढने जैसी पिरिःथित कहीं नही रहेगी, देखा देखी िहंदी का ूयोग बढ़ता जाएगा । कमर्चािरयों को इसी िदशा में ूोत्सािहत करने हेतु हम ूितवषर् िहंदी सप्ताह मनाते हैं । िहंदी िदवस और िहंदी सप्ताह के शुभारंभ के अवसर पर आईए हम सब संकल्प करें िक जो ूयास हम कर रहे हैं उससे बेहतर ूयास करें, खुद पहल करें और राजभाषा के ूित मन में उमंग को सदा जीिवत रखें ।

    धन्यवाद, जय िहंद    

    (राकेश सक्सेना) अध्यक्ष एवं ूबंध िनदेशक मुबंई रेलवे िवकास कॉपोर्रेशन िल.

  • िवकास पथ  

     

    व्यःत भी रहें व्यविःथत भी रहें  

    व्यःतता और अःत-व्यःतता के बीच एक झीनी सी रेखा िखंची हुई है । व्यःतता का तात्पयर् है – जो भी िकया जा रहा कायर् है, उसे उपयुक्त ढंग से करना और अःत-व्यःतता का मतलब है – उसे िबखरे और बेढ़ब तरीके से करना । व्यिक्त जब बंटा होता है तो वह अःत – व्यःत होता है, पर यह भी एक सच्चाई है िक ऊपर से व्यःत िदखने वाला व्यिक्त अंदर से बंटा–िबखरा भी हो सकता है । जब सामंजःय एवं क्षमता का सुरुिचपणूर् संयोग घिटत होता है तो उसे व्यवःथा कहते हैं । व्यवःथा के द्वारा ही अःत –व्यःतता को दरू िकया जा सकता है ।

    व्यःतता िवशुद्ध रूप से एक िनत्यूित की ूिबया है, िजसमें व्यिक्त बाहरी रूप से अपने सभी कायोर्ं को समय के साथ संपािदत करता हुआ िदखाई देता है । समय से उठना, समय से ही अपने दैिनक कायोर्ं को शुरु करना, समय से अपने कतर्व्य-के्षऽ में पहंुचना एवं वापस अपने घर लौट आना । इस दैिनक कायर् में व्यिक्त अपने िनजी एवं व्यवसाियक कायर् में अित व्यःत रहता है, परंतु डेिवडमन ने अपनी िकताब ’अफेिक्टव लाइफःटाइल’ में ूश ् न खड़ा िकया है िक क्या जो लोग बाहर व्यःत होते हैं, वे आंतिरक रूप से व्यविःथत होते हैं या बंटे और िबखरे होते हैं ? क्या उनके मन एवं भावना के बीच संबंध ःथािपत रहता है, वे भावनात्मक रूप से संतपृ्त एवं बौिद्धक रूप से संतुष्ट होते हैं ? डेिवडसन का यह ूश ् न चुनौतीपूणर् एवं िवचारणीय है; क्योंिक व्यःतता का मतलब सुव्यवःथा नहीं है । व्यःत होना ठीक है, परंतु इतने माऽ से व्यिक्त के अंदर क्षमता का िवकास नही होता । व्यःत व्यिक्त जीवन में रचनात्मक िवकास कर सकता है या नही, उस पर कई ूश ् निचन्ह लगते हैं । इस संबंध में जेम्स मास का कहना है िक व्यिक्त को िवकिसत होने के िलए व्यःत होने की उतनी आवँयकता नही होती िजतनी उसे व्यविःथत होने की । व्यवःथा अपने अंदर एक मधुर सामंजःय बनाए रखती है । व्यवःथा सामंजःय एवं क्षमता का सुयोग एवं संयोग है अथार्त व्यिक्त के अंदर अपने िविभन्न घटकों के बीच सुरुिचपूणर् सामंजःय घिटत होता है तो ही वह अपने अंदर की नैसिगर्क क्षमता का समुिचत सदपुयोग कर पाता है । इन्सान यिद अंदर से बंटा, िबखरा एव ंिवभािजत हो तो वह कैसे अपने अंदर की क्षमता को अिभव्यक्त कर सकता है । क्षमता को अिभव्यक्त करने से पहले आवँयक है िक व्यिक्त अपने िवचारों एवं कल्पनाओ ं की तरंगों में उड़ता-बहता न रहे, बिल्क उन पर िनयंऽण करके इसका उपयोग करना सीखे । िवचारों से बंटा व्यिक्त िकसी िवषय िवषेश पर कें िित नही हो सकता । उसकी िचंतन ूिबया आवारा बादलों के समान इधर-उधर उड़ती-भटकती रहती है । भावनाएं अिःथर एवं असंतुिलत होती हैं । िवचार एवं भावनाओं के बीच एक गहरा दं्वद्व पैदा हो जाता है इस दं्वद्व के पिरणामःवरूप जीवन अःत–व्यःत हो जाता है । ूख्यात मनोिचिकत्सक जॉन िमिल्वन के अनुसार व्यःत व्यिक्त के अंदर भी दं्वद्व पैदा हो सकता है; क्योंिक व्यःत व्यिक्त अपने बाहरी िबयाकलापों के बीच िबयारत रहता है, पर आंतिरक रूप

  • िवकास पथ  

     

    से वह मानिसक और भावनात्मक दं्वद्व से िघरा हो सकता है । यह दं्वद्व हमारी बेशकीमती ऊजार् को सोख लेता है और हमारी क्षमता मुरझा जाती है और िवकास के अनिगनत आयाम िबखर जाते हैं । िमिल्वन का कहना है िक इस दं्वद्व से उबरने का एक माऽ उपाय है अपने अंदर सामंजःय एवं समरसता पैदा की जाए तािक मानिसक एवं भावनात्मक ऊजार् का संरक्षण एवं सुिनयोजन हो सके । ऐसा होने पर ही क्षमता का समुिचत सदपुयोग संभव है और यही व्यवःथा है, सही मायने में जीवन तभी व्यविःथत होता है । जब जीवन व्यविःथत हो जाता है तो िवचार, कल्पना एवं भावनाओं में सामंजःय पैदा हो जाता है |

    व्यःतता और व्यवःथा में अंतर है व्यःत व्यिक्त देखने में सभ्य एवं सुसंःकृत लगता है, लेिकन अपने िनजी जीवन में इतने गहरे अवसाद, कंुठा एवं दं्वद्व के भंवर में फंसा हुआ हो सकता है िक वह इस मानिसक परेशानी से उबरने के िलए नशे एवं अन्य कृत्यों का सहारा लेने लगता है । अगर वह सफल है तो उस सफलता को क्या िकया जाए, िजसमें उसका ःवयं का जीवन संकट में पड़ा दीखता है । उनके वैचािरक एव ंभावनात्मक सामंजःय का िनंकषर्, क्षमता की अिभव्यिक्त के रूप में नहीं िनकलता और यही वजह है िक कुछ ूिसद्ध कलाकार, संगीतकार, उद्योगपित आत्महत्या करने के िलए िववश होते हैं ।

    अपने िविशष्ट के्षऽ में िवख्यात तो हुआ जा सकता है परंतु व्यिक्तत्व संतुिलत हो, जीवन सुव्यविःथत हो, यह जरूरी नहीं है । ूिसिद्ध के िशखर पर पहंुचकर भी जीवन असंतुिलत और अव्यविःथत रहता है । यिद ऐसा न होता तो उच्च िशिक्षत एवं कॉपोर्रेट सेक्टर के मूधर्न्य, संपन्न एवं िवद्वान व्यिक्त मनोरोगी नहीं होते । बड़े ही व्यःत एवं सामािजक व आिथर्क मानदण्डों के आधार पर बहुत सफल कहे जाते हैं, िफर आिखर ऐसा क्यों होता है । इसके जवाब में कहा जा सकता है िक व्यःत कहे जाने वाले व्यिक्तयों के बीच आंतिरक व्यवःथा के अभाव में एक गहरा दं्वद्व पैदा हो जाता है । यह गहरा दं्वद्व उनकी बाह्य व्यःतता के बीच आंतिरक अव्यवःथा को जन्म देता है । इससे उनकी बाह्य सफलता उनके िनजी एवं सामंजःय के बोध को पैदा नहीं कर पाती है । सफल, ूितिष्ठत एव ंसम्मािनत होने के बावजूद हम अपने ःवयं के जीवन में भयानक िवषाद एवं उससे ूाप्त सफलता से आंतिरक जीवन का सामंजःय व्यविःथत नहीं हो पाता है, िवचार एवं भावनाओं में सुमेल नहीं हो पाता है और िवसंगितयां पैदा होती हैं ।

    अत: इन िवसंगितयों को दरू करके ही एक सुरुिचपूणर् एव ंसंगीतमय व्यवःथा का जीवन में समावेश िकया जा सकता है, जो अःत-व्यवःथा के साथ व्यिक्त की व्यःतता के कंटकों को दरू कर सकती है । इसिलए आवँयक है िक यिद हम जीवन में सुख–शांित एवं ूफुल्लता चाहते हों तो व्यविःथत रूप से व्यःत रहना सीखें । यही जीवन जीने की कला का मूलभूत िसद्धांत है । साभार, अखंड ज्योित  

     

    कॉपोर्रेशन की उपलिब्धयां और गितिविधयां  

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    िदनांक 21.7.2013 को नगर राजभाषा कायार्न्वयन सिमित, मुंबई (उपबम) की 51वीं बैठक में उत्कृष्ट कायर्-िनंपादन के िलए एमआरवीसी को ततृीय पुरःकार िदया गया । पुरःकार महण करते हुए िनदेशक

    (पिरयोजना), मुख्य राजभाषा अिधकारी/मु.पिरचा.ू. और राजभाषा अिधकारी   

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     अिधक से अिधक कायर् िहंदी में करने के िलए रा.भा. कायार्न्वयन सिमित की ऽैमािसक बैठक के दौरान अध्यक्ष एवं ूबंध िनदेशक के हाथों से पुरःकार महण करते हुए कायार्लय अधीक्षक (पिरयोजना), ौी िगरीष कुमार यादव

      

     अिधक से अिधक कायर् िहंदी में करने के िलए रा.भा. कायार्न्वयन सिमित की ऽैमािसक बैठक के दौरान अध्यक्ष

    एवं ूबंध िनदेशक के हाथों से पुरःकार महण करते हुए कायार्लय अधीक्षक, भंडार, ौी डी. चेलैय्या ।

  • िवकास पथ  

     

    िजयो हजारों साल कमर्चारी कल्याण गितिविध कायर्बम के अतंगर्त कॉपोर्रेशन के कमर्चािरयों को जन्म िदवस के बधाई सदेंश िदए जाते हैं िजससे एक पािरवािरक भावना पनपती है ।

    14 अगःत अ�धक से अ�धक कायर् िहदंी मे करने के �लए रा-भा- कायार्न्वयन स�मित की ऽैमा�सक बैठक के दौरान अध्यक्ष एवं ूबधं िनदेशक के हाथों से पुरःकार महण करते हुए कायार्लय अधीक्षक+ भडंार+ ॐी डी चलेै

      

    01st जनवरी

    ौी-अनंग पाल म�लक

    (उप मुख्य पिर- ूबंशक – �स�वल III)

     

  • िवकास पथ  

     

    हमारी रचनाएं 

    ।। न खोना ईमान ।।

    सच और साहस मन में रखकर अबके यह िवचार कर सत्य िनष्ठा अपना ले, और खत्म ॅष्टाचार कर ।

    तलवारों से हिथयारों से यह रावण न मर पाएगा शब्दों के कुछ बाण चलाकर ॅष्टों को लाचार कर ।

    बेईमानी के पतझड़ से यह गुलशन वीरां है अपना सच्चाई के फूल िखलें अब, पैदा ऎसी बहार कर ।

    दौलत की लालच में पड़ के ईमान अपना ना खोना िरश ् वत के ूःताव को तू हरदम ही इन्कार कर ।

    कलीम उल्लाह आदमजी िलिपक, एमआरवीसी

    नन्ही कलम से

    कैरी

    कैरी रहती है बहुत खट्टी, पेड़ से नीचे िगरते वक्त, उसे लग जाती है िमट्टी,

    कैरी से बनता है, अचार, जूस और बहुत कुछ,

    कैरी इस देश में तेरा बहुत है नाम, पर हम बुलाते हैं तुझे ’आम’ ! कैरी का असली मजा उसे, नमक लगाकर ही आता है ।

    कैरी तेरा ःवाद बच्चों को बहुत ही भाता है ।

    - मणृ्मयी गोसावी

  • िवकास पथ  

     

    ।। दरू करेंगे ॅष्टाचार ।।

    ॅष्टाचारी तूने देश को खोकला कर डाला । देश के गरीबों को जीते जी मार डाला ॥

    पैसा खाने की हवस िदन-बिदन बढ़ती रही । जमाखोरी की लत शराब सी चढ़ती रही ।

    देश की उन्नित एक सपना बनके रह जायेगी ।

    अगर ॅष्टाचािरयों की पदैावार ऎसे ही बढ़ती जायेगी ॥ हर एक व्यिक्त महानताकी िमसाल हो ये जरूरी नही । पर खुद की नजरों से िगरे, तो उठानेंवाला कोई नही॥

    एक ही जनम िमला है, उसे बरबाद ना कर । एक बार खो गई इज्जत, पाने में बीत जाती है उमर ॥

    अगर मन में हो देश के ूित आदर और सच्चा प्यार ।

    चलो आज ये ूण करें, घसू न देंगे, घसू न लेंगे, दरू करेंगे ॅष्टाचार ॥

    - वशैाली गोसावी

  • िवकास पथ  

     

    II सायों की सािजश II

    मेरे साये मझुसे मेरे होने की गवाही माँगे हम सफर रेंगते हैं, ज़मी पर मेरा अक्स िलये ।

    अब क्या ज़ख्मों की दहुाई माँगे, मेरे साये मझुसे मेरे होने की गवाही माँगे ॥

    मझुसे जन्में, दौड़ते रहे जवानी की धूप मे, शामे-ए-िजन्दगी में मुझसे लम्बे हो चले हैं मेरे साये ।

    अंधेरे ढूढते है िरँतों की जमा पूंजी, नज़र अब नहीं आते मेरे साये ॥

    वह देखो इन्सािनयत का जनाज़ा मौका परःतों के कांधे पे सवार, धिडयाली आंस ूबहा रहा है

    कॄ पर मेरी बरबादी का जश्न मना रहा है ॥ सजदा करो, ये इन्सािनयत का मरघट है

    काँपते अक्स िचताओं पर यहाँ , अरमान जलाए जाते हैं िरँते भनुाए जाते हैं

    बरबादी –ए- जश्न मनाए जाते है राही, गम न कर “कारवां” के िबछड़ जाने का बहारें िफर आएगीं, वक्त आएगा मःुकराने का

    कह दो अतीत के सायों को’ सरूज को डूबने का भय नहीं होता सयूर् का क्षय नहीं, उदय होता है ॥

    िगरीश कुमार यादव

    कायार्लय अधीक्षक (कायर्) एम.आर.वी.सी/मुंबई

    हँसना मना है

  • िवकास पथ  

     

    िहंदी मेरी िहंदी नेताजी ने भाषण शुरु करते हुए कहा, “लेडीज एंड जेंटलमैन, मेरे को िहंदी बहुत कम आता है । िहंदी से मेरा वाःता उसी मािफक है जसैा हमारा अपनी वाइफ से है । हम उससे बहुत लव करता है, लेिकन उस पर कंशोल नही है ।"

    महापुरूषों के िवचार  1. देवनागरी िलिप की वैज्ञािनकता ःवयं िसद्ध है । – महावीर ूसाद िद्ववेदी 2. िहंदी राष्टर्भाषा है, इसिलये ूत्येक व्यिक्त को, ूत्येक भारतवासी को इसे सीखना

    चािहए । – रिवशंकर शकु्ल 3. िकसी राष्टर् की राजभाषा वही भाषा हो सकती है िजसे उसके अिधकािधक

    िनवासी समझ सके । – आचायर् चतुरसेन शास्तर्ी 4. भाषा के उत्थान में एक भाषा का होना आवँयक है । इसिलये िहंदी सबकी

    साझा भाषा है । – पं. कृ. रंगनाथ िपल्लयार 5. भाषा के उत्थान में एक भाषा का होना आवँयक है । इसिलये िहंदी सबकी

    साझा भाषा है । – पं. कृ. रंगनाथ िपल्लयार 6. है भव्य भारत ही हमारी मातभृिूम हरी भरी। िहंदी हमारी राष्टर्भाषा और िलिप है

    नागरी । – मैिथलीशरण गुप्त राजभाषा नीित व िनयमों का अनुपालन सुिनश ् िचत िकए जाने के संबंध में  

  • िवकास पथ  

     

    राजभाषा िवभाग द्वारा समय समय पर जारी िदशा िनदेर्शों/आदेशों के कितपय महत्वपूणर् िबंदओुं िजनका अनुपालन कें ि सरकार के सरकारी कामकाज में िहंदी के ूगामी ूयोग को बढाने के िलए अत्यंत आवँयक है ।

    1. राजभाषा अिधिनयम की धारा 3(3) के अंतगर्त िनम्न ूपऽ िद्वभाषी रूप में जारी िकए जाएं । िकसी ूकार के उल्लंघन होने पर ूपऽ जारी करने वाले अिधकारी को िजम्मेदार ठहराया जाए :-

    1. संकल्पों, साधारण आदेशों, िनयमों, अिधसूचनाओं, ूशासिनक या अन्य ूितवेदनों या ूेस िवज्ञिप्तयों के िलए जो कें िीय सरकार द्वारा या उसके िकसी मंऽालय, िवभाग या कायार्लय द्वारा या कें िीय सरकार के ःवािमत्व के या िनयंऽण में िकसी िनगम या कंपनी के द्वारा या एसे िनगम या कंपनी के िकसी कायार्लय द्वारा िनकाले जाते हैं,

    2. संसद के िकसी सदन के समक्ष रखे गए ूशासिनक तथा अन्य ूितवेदनों और राजकीय कागज-पऽों के िलए,

    3. कें िीय सरकार या उसके िकसी मंऽालय, िवभाग या कायार्लय द्वारा उसकी ओर से या कें िीय सरकार के ःवािमत्व में या िनयंऽण में िकसी िनगम या कंपनी द्वारा या एसे िनगम या कंपनी के िकसी कायार्लय द्वारा िनंपािदत संिवदाओं और करारों के िलए तथा िनकाली गई अनुज्ञिप्तयों, अनुज्ञापऽों, सूचनाओ ंऔर िनिवदा-ूारूपों के िलए, ूयोग में लाई जाएगी ।

    2. अन्तरार्ष्टर्ीय संिधयों और करारों को अिनवायर् रूप में िहंदी और अंमेजी दोनो

    भाषाओं में तैयार कराया जाए । िवदेशों में िनंपािदत संिधयों और करारों के ूमािणत अनुवाद तैयार कराके िरकाडर् के िलए फाईल मे रखे जाएं ।

    3. िवदेश िःथत भारतीय कायार्लयों सिहत सभी मंऽालयों/िवभागों आिद की लेखन साममी, नाम पट्ट, सूचना पट्ट, फामर्, ूिबया संबंधी सािहत्य, रबड़ की मोहरें, िनमंऽण पऽ आिद अिनवायर् रूप से िहंदी-अमेंजी में बनवाए जाएं ।

    4. राजभाषा अिधिनयम 1976 के िनयम 5 के पालन में िहंदी में ूाप्त पऽ आिद के उत्तर िहंदी में िदए जाएं । िजस अिधकारी के हःताक्षर से कोई पऽ आिद जारी होता है ःवयं उसकी यह िजम्मेदारी होती है यिद कोई पऽ िहंदी में ूाप्त हुआ है अथवा िकसी आवेदन, आभ्यावेदन में िहंदी में हःताक्षर िकया गया है तो उसका उत्तर िहंदी में िदया जाए ।

  • िवकास पथ  

     

    5. सभी मंऽालयों/िवभागों/उपबमों/िनगमों/अधीनःथ कायार्लयों की वेब साइट िद्वभाषी तैयार की जाए व नागिरक चाटर्र तथा जन सूचना बोडर् आिद का ूदशर्न भी िद्वभाषी हो । वेब साइट का अद्यतन करते समय भी यह िवशेष ध्यान िदया जाए िक वेब साइट की िहंदी साइट भी अंमेजी के समान अद्यतन हो ।

    6. िहंदी के समाचार पऽों में केवल िहंदी में ही िवज्ञापन िदए जाएं । 7. कंप्यूटर पर िहम्दी ूयोग के िलए केवल यूिनकोड एनकोिडंग का ूयोग िकया

    जाए । 8. राजभाषा िवभाग द्वारा ूत्येक वषर् जारी िकए जाने वाले वािषर्क कायर्बम में

    िनधार्िरत लआयों को पूरा करने की िदशा में गहन ूयास िकए जाएं । 9. कें ि सरकार के कायार्लयों, उपबमों व बैंकों द्वारा ितमाही िरपोटर् को ऑन लाइन

    भेजने की व्यवःथा की गई है । यह सुिनश ् िचत िकया जाए िक मंऽालयों, िवभागों तथा उनके अधीनःथ कायार्लयों, बैंकों उपबमों द्वारा ितमाही ूगित िरपोटर् समय से ऑन लाइन भेजी जा रही है ।

    10. मंऽालयों, िवभागों आिद द्वारा सरकारी कामकाज के ूयोग के िलए बनवाए जाने वाले सभी सॉफ्टवेयर िहंदी तथा अंमेजी में एक साथ िवकिसत िकए जाएं ।